Guru Nanak Jayanti 2022 Langar: सिख धर्म में गुरु नानक जयंती को बहुत बड़ा पर्व माना जाता है. गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिख गुरु परंपरा में पहले गुरु थे. हिंदू कैलेंडर अनुसार गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था. इस दिन पूरी दुनिया में गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस साल उनकी 553वीं जयंती मनाई जा रही है. इसे प्रकाश उत्सव या गुरु पर्व भी कहा जाता है.


गुरु नानक देव जी का जन्म


गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ था. गुरु नानक जयंती उत्सव पूर्णिमा दिवस से दो दिन पहले शुरू हो जाता है जिसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन जैसे अनुष्ठान शामिल हैं. गुरु नानक जयंती को लंगर खिलाने की प्रथा है. आइये जानें लंगर के बारे में.


लंगर क्या है?


सिख धर्म में लंगर का मतलब यह हैं कि बिना किसी भेदभाव, जाति और ऊंच नीच की भावना से एक साथ एक ही रसोई में बना भोजन करना है. यह भोजन निःशुल्क होता है. लंगर की व्यवस्था हर गुरुद्वारे में अनिवार्य रूप से होती है.


गुरु नानक देव जी ने कहा था कि “अमीर-गरीब जाती-पाती ऊंचा-नीचा यह सबसे ऊपर भूख है, जो भूखा है उसे खाना खिलाओ”. उन्होंने नारा दिया - “कीरत करो, वंड छको” मतलब “खुद मेहनत करो और सब में बांट कर खाओ”.


लंगर की प्रथा कब से शुरू हुई?


सिख धर्म ग्रंथों में प्रचलित कहानियों के अनुसार, एक बार गुरु नानक देव जी के पिता ने उन्हें व्यापार करने के लिए कुछ पैसे दिए, जिसे देकर उन्होंने कहा कि वो बाज़ार से सौदा करके कुछ लाभ कमाकर लायें. नानक देव जी इन पैसों को लेकर जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने कुछ भिखारियों और भूखों को देखा, उन्होंने सारे पैसों को भूखों को खिलाने में खर्च कर दिया और खाली हाथ लौट आये. नानक के पिता बहुत नाराज हुए तो नानक देव जी ने बोले कि सच्चा लाभ तो सेवा करने में ही है. गुरु नानक देव की यह परंपरा उनके बाद सभी 9 गुरुओं ने भी बनाये रखा. जो अब भी चल रही है. पंजाब राज्य के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर यानी गोल्डन टेम्पल में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर आयोजित होता है.


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