Guru Purnima 2023 Shubh Yog, Muhurat, Puja Vidhi and Importance: सभी देवों से विशेष, श्रद्धा, आस्था, विश्वास, निर्मल भावना, दैहिक-मानसिक रूप से अपने देवरूप गुरु के दर्शन, माता-पिता की पूजा, वंदना, शत-शत नमन, प्रणाम, अभिनन्दन के लिए गुरु पूर्णिमा का दिन खास होता है. इस साल गुरु पूर्णिमा सोमवार 03 जुलाई 2023 को है.
संसार में गुरु के स्थान का सर्वाधिक महत्व होता है. गुरु अपने सच्चे निष्ठावान दृढ़ धर्मज्ञ शिष्य को सर्वेश्वर का साक्षात्कार करवाकर उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्त कर दते हैं, उसके हृदय में ज्ञान का प्रकाश फैला सकते हैं, उसे अज्ञान के घोर अन्धकार से निकालकर सही पथ की ओर अग्रसर कर सकते हैं.
सच में... जैसे ज्ञान-विज्ञान के बिना मोक्ष नहीं हो सकता. ठीक उसी तरह से ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति गुरु के बिना असंभव है. गुरु पूजा और गुरु से दीक्षा विश्वभर में विख्यात है और इसके लिए गुरु पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ है.
कहा जाता है कि, ‘हरि रूठे, गुरू ठौर है, गुरू रूठे, नहीं है ठौर’. इसका अर्थ यह है कि ईश्वर की अवज्ञा से मनुष्य को दण्ड भुगतना पड़ सकता है. ऐसी विषम स्थिति में मानव अपने ज्ञानी गुरु को अवज्ञा का कारण बताकर उसके प्रकोप को कम करने का रास्ता पूछ सकता है. गुरु की शरण में जाकर मनुष्य ईष्वर को मनाने का रास्त खोज लेगा. लेकिन यदि गुरु रूठ गए तो उसके प्रकोप से बचने का कोई रास्ता नहीं है. किसी भी स्थिति में गुरु की अवज्ञा से कहीं ठहराव नहीं हो सकता.
गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त
सोमवार 3 जुलाई गुरू पूर्णिमा पर 10:15 से 11:15 बजे तक शुभ मुहूर्त है. इसके बाद दोपहर 12:15 से1:30 तक अभिजीत मुहूर्त है. दोपहर के बाद शाम 4 बजे से 6 बजे तक लाभ-अमृत का मुहूर्त है. साथ ही इस दिन वाशी, सुनफा, बुधादित्य और ब्रह्म योग जैसे शुभ योगों संयोग रहेगा. वहीं मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए भद्र योग और वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग बन रहा है. इन शुभ योग और मुहूर्त में गुरुदेव की पूजा करें.
गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धनु राशि में रहते है, जिसपर बृहस्पति का शासन है. साथ ही पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में, जिस पर इस समय शुक्र का शासन है. यही कारण है कि चंद्रमा को व्यक्ति के दिल और दिमाग का स्वामी माना जाता है. यह दिल और दिमाग के बीच का संबंध है जिसे हमारे गुरु पोषित करते हैं, जिससे हमें एक ऐसा व्यवहार विकसित करने में मदद मिलती है जो नैतिक और व्यावहारिक दोनों है.
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके बाद देवगुरु बृहस्पति, महर्षि वेदव्यास की पूजा करें फिर अपने गुरु का पूजन करें. उन्हें नए वस्त्र, गुरु दक्षिणा, मिष्ठान, श्रीफल इत्यादि भेंट करें और उनसे सुखद भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें. यदि आपके गुरुदेव ब्रह्मलीन है तो उनकी समाधि स्थल पर जाकर नमन करें, पुष्प माला अर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करें और आशीर्वाद प्राप्ति की कामना करें.
क्या करें यदि न हो कोई गुरु
गुरु की असीम महिमा के कारण ही गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजनों का पूजन किया जाता है. आप भी गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के चरण स्पर्श कर उनसे आशीष लें. यदि आपने गुरु नहीं बनाया है तो किसी ऐसे गुरु को तलाशें जिसने अपने भीतर का अंधकार समाप्त कर ज्ञान की ज्योति जला ली हो.
गुरु यंत्र के लाभ
- यदि आपकी कुण्ड़ली में बृहस्पति ग्रह एक या अधिक ग्रहों के साथ मौजूद हों तो आपकी कुंडली में गुरु या भगवान बृहस्पति के अच्छे प्रभावों को मजबूत करने में अभिमंत्रित गुरु यंत्र आपकी मदद करेगा.
- यदि आपकी जन्मकुंडली में गुरु अपनी नीच राशि यानी मकर राशि में है तो आपको गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए.
- आपकी जन्मकुंडली में बृहस्पति के साथ राहु, केतु या शनि विराजित हैं तो भी गुरु यंत्र की पूजा आपके लिए अनुकूल है.
- यदि गुरु आपकी कुण्डली में छठवें, आठवें या बारहवें भाव में है तो आपको अभिमंत्रित गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए.
- साथ ही गुरु ग्रह के दुष्प्रभावों से बचने के लिए पुखराज भी पहना जा सकता है.
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