'दिवाली' से पहले पुष्य नक्षत्र पर 677 साल बाद बन रहा है विशेष संयोग, खरीदारी करने के लिए नहीं देखना पड़ेगा पंचांग
Guru Pushya Nakshatra 2021: पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना गया है. इस बार दिवाली (Diwali 2021) से पहले गुरु पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है. जो अत्यंत शुभ माना जा रहा है.
Pushya Nakshatra 2021: दिवाली से पहले पुष्य नक्षत्र का पड़ना शुभ फलदायी माना जा रहा है. शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ नक्षत्र बताया गया है. मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
नक्षत्रों का राजा है 'पुष्य नक्षत्र'
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई है. इस नक्षत्र को 8वां नक्षत्र माना गया है. पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य भी कहा जाता है. तिष्य का अर्थ मंगल प्रदान करने वाला नक्षत्र वहीं अमरेज्य का अर्थ देवताओं के द्वारा पूज्य नक्षत्र.
पुष्य नक्षत्र, जिसकी देवता भी करते हैं पूजा
पुष्य नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि ये ऐसा नक्षत्र है जिसकी देवता भी पूजा करते हैं. इस नक्षत्र की खास बात ये है कि शादी विवाह आदि को छोड़कर इस नक्षत्र में पंचांग के देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. कार्तिक माह का पहला पुष्य नक्षत्र विशेष महत्व रखता है. क्योंकि इस वर्ष ये दिवाली के पर्व से पहले पड़ रहा है.
पुष्य नक्षत्र कब है?
पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा. इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा. 28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र प्रात: 09 बजकर 41 मिनट से होगा और 29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु पुष्य नक्षत्र भी कहा जाता है. इस नक्षत्र में खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है. 28 अक्तूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है.
साल बाद बन रहा है विशेष संयोग
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार 677 साल बाद गुरु-पुष्य योग में शनि और गुरु दोनों ही मकर राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस शुभ संयोग में खरीदारी और निवेश का महामुहूर्त इस बार दिवाली से पहले बन रहा है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव ही हैं। ऐसे में खरीदारी के लिए यह बहुत ही मौका है।
677 साल बाद पुष्य नक्षत्र पर बन रही है गुरु-शनि की युति
पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और देवता देव गुरु बृहस्पति हैं. विशेष बात ये हैं कि ये दोनो ही ग्रह मकर राशि में विराजमान हैं. यानि मकर राशि में शनि और गुरु की युति बनी हुई है. इसके साथ पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इसलिए इसे गुरु पुष्य नक्षत्र भी कहा जाता है. ऐसा संयोग 677 साल बाद बन रहा है.
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