Hanuman Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा का समापन आरती और मंत्र जाप के बाद माना जाता है आरती का अर्थ होता है पूरी श्रद्धा के साथ ईश्वर की भक्ति में डूब जाना.
कहते है कि किसी व्यक्ति के ग्रह दशा में अगर मंगल की स्थिति कमजोर है तो उसे हनुमान जी की पूजा और आरती करनी चाहिए, मंगलवार को हनुमान जी की आरती करने से हनुमान जी खुश होते हैं. नियमित रूप से हनुमान जी की आरती करने से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती. इसके साथ ही घर में सुख समृद्धि का वास होता है. घर में हनुमान जी की आरती करने से कई लाभ होते हैं. यहां आपसे साझा कर रहे हैं हनुमान जी की आरती.
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
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