शाबर मंत्र सबसे सुरक्षित मंत्र होते हैं. सबसे आसान और सबसे सुरक्षित होने के कारण आज के युग में पढ़े जाने वाले सबसे ज्यादा मंत्र शाबर ही है. क्योंकि इन मंत्रों को वैदिक मंत्रों की तरह लंबी साधना की आवश्यकता नहीं होती और न ही तांत्रिक मंत्रों की तरह टेक्निकल होते हैं. शाबर मंत्र साधारण और देहाती भाषा में भी बने हैं. शाबर मंत्र की विशेष बात यह है कि यह जिस इष्ट के लिए पढ़ा जा रहा है. उनके भी ईष्ट की दुहाई इन मंत्रों में दी जाती है. यानी उन्हें उनके इष्ट का वास्ता दिया जाता है कि आपको आपके इष्ट का वास्ता कि मेरी प्रार्थना आप जल्द से स्वीकार करें.
आज हम बात करने जा रहे हैं हनुमान जी के एक विशेष मंत्र बजरंग बाण की. यह मंत्र भी शाबर मंत्र की कैटेगरी में आता है. इसका पाठ करना बहुत तीक्ष्ण माना गया है, इसलिए इसके नाम के पीछे चालीसा और कवच नहीं बाण लिखा है क्योंकि बाण का अर्थ है निर्धारित लक्ष्य को भेदना. ऐसा कोई हथियार जिसके अलावा कोई भगवत कृपा पाने की कोई और रास्ता न हो. बजरंग बाण का उच्चारण तब कर सकते हैं जब सभी किए जा रहे उपाय फेल हो रहे हों या कोई साधन नहीं बन रहे हों. जब विपदा बहुत प्रबल हो जाती है तब इस पाठ का करना अति शुभ फल देने वाला होता है. चलिए बजरंगबाण के बारे में और विस्तृत बात करते हैं.
कौन लोग कर सकते हैं बजरंगबाण का पाठ :
जो लोग शत्रुओं से घिरे हुए हैं और जिनके दुश्मनों ने उनका जीना मुश्किल कर दिया है.
जो असाध्य रोग से ग्रसित हो चुके हैं या जिन लोगों को किसी दवा का असर नहीं हो रहा हो, ऐसे लोगों को बजरंगबाण करने विशेष रूप से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने वाला होता है.
जिन लोगों को आर्थिक समस्याओं ने घेर रखा है अथवा जो लोग लेन - देन के मामले में पूर्ण रूप से फंसे हुए हो तो उनके लिए भी यह पाठ करना अति उत्तम होता है.
विद्यार्थियों या नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को इसका पाठ करना अच्छे फल देने वाला होता है.
जिन लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं चल रहा है या जिन अविवाहित लोगों की खूब कोशिशों के बाद भी कहीं बात पक्की नहीं हो पा रही है. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए भी बजरंगबाण का पाठ अति उत्तम फल देने वाला होता है.
कैसे और कब करना चाहिए बजरंग बाण की शुरुआत :
यह पाठ किसी भी किताब से किय़ा जा सकता है. बस पाठ उस किताब से करें जिसमें इसकी लिखावट लाल रंग से हो.
बजरंगबाण के पाठ की शुरुआत सुबह या शाम किसी भी समय किया जा सकता है. कोशिश करें कि इसकी शुरुआत मंगलवार या शनिवार से की जाए और यदि आपके पास इसका इंतजार करने का समय नहीं है तो आने वाले किसी भी दिन से बजरंगबाण की शुरुआत की जा सकती है.
याद रखने वाली बात यह है कि जिस समय इसका पाठ शुरू किया जाए. रोजाना उसी समय पर चालीस दिन तक पाठ करना राम भक्त हनुमान की कृपा प्राप्ति के लिए अच्छा होगा. इसको जब भी शुरू किया जाए तो चालीस दिन तक इसको स्किप करने से बचें.
एक दिन में सात बार बजरंगबाण पढ़ना चाहिए.
जिस दिन बजरंगबाण की शुरुआत कर रहे हैं. उस दिन हाथ में जल लेकर और अपना प्रयोजन बताते हुए पाठ करने का संकल्प लें.
सातों बजरंगबाण पढ़ने के बाद एक बार हनुमान चालीसा पढ़कर इस पाठ का समापन करना चाहिए.
बजरंग बाण पाठ के लिए हनुमान जी के किस स्वरूप की करें पूजा -
जिस प्रयोजन से यह पाठ करने का संकल्प लिय़ा है. उस प्रयोजन के अनुसार हनुमान जी की मूर्ति का स्वरूप अपने आंखों के सामने रखना चाहिए. चलिए इससे संबंधित उदाहरणों पर बताते हैं. जैसे -
जो लोग बीमार है या घर में कोई बीमार हैं. जिसके लिए आप पाठ कर रहे हैं तो उस समय हनुमान जी की संजीवनी वाली फोटो अपने सामने रखकर पूजा अर्चना करनी चाहिए.
किसी भी मुद्दे पर जीत हासिल करनी हो. चाहे वह मुकदमे से संबंधित हो या शत्रुओं से. इसके लिए हनुमान जी की पताका के साथ फोटो या लंका जलाने वाली फोटो या स्वरूप का ध्यान करना उत्तम फल देने वाला होता है.
जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही है या विवाह नहीं हो रहा है तो ऐसे लोगों को भगवान हनुमान की सीने में सीता-राम वाली तस्वीर का ध्यान करना चाहिए.
संतान न होने की सूरत में या जो लोग करियर को लेकर चिंतित हैं उनके लिए भगवान हनुमान की वरद मुद्रा की फोटो का पूजा अर्चना करना अच्छे फल देता है.
घर में वास्तुदोष है और किसी कारणवश वह ठीक नहीं हो पा रहा है तो उसके लिए पंचमुखी हनुमान जी की फोटो के सामने बैठकर बजरंगबाण का पाठ करना उत्तम होता है.
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