Happy Kabirdas Jayanti 2023: 4 जून को यानी आज कबीर दास की जयंती मनाई जा रही है. कबीर दास एक प्रसिद्ध कवि और महान समाज सुधारक थे. अपनी लेखनी के माध्यम से कबीर दास ने समाज में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ जन-जागरण पैदा किया. कबीर दास जी निर्गुण निराकार ब्रह्मा को मानते थे. वह अंधविश्वास और पाखंड के घोर विरोधी थे. उनका मानना था कि ईश्वर को सिर्फ ध्यान लगाने से ही पाया जा सकता है.
कबीर एक संत, कवि और महान समाज सुधारक थे. उनके द्वारा चलाए गए धर्म को ही कबीर पंथ कहां जाता है. उनके इस पंथ को हिंदू और मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदाय के लोग मानते हैं. कबीर दास अपने सिद्धांतो और प्रवचनों के लिए भी जाने जाते हैं. उनके प्रवचनों को सुनने के लिए दूरदराज से सभी धनी और गरीब लोग आते थे. एक प्रवचन में कबीर दास ने अपने एक परेशान शिष्य को सुखी गृहस्थ जीवन का खास रहस्य बताया था. जानते हैं इसके बारे में.
कबीर दास ने बताया सुखी गृहस्थ जीवन का रहस्य
हर रोज की तरह ही कबीर दास प्रवचन दे रहे थे. जब प्रवचन खत्म हुआ तो सभी लोग जाने लगे लेकिन एक व्यक्ति वहां बैठा रहा. कबीर दास जी जी समझ गए कि वह व्यक्ति परेशान है. पूछने पर व्यक्ति ने बताया कि उसका गृहस्थ जीवन ठीक नहीं चल रहा है और आए दिन पत्नी के साथ उसका विवाद होता रहता है. परेशान शिष्य ने कबीर दास से इसका उपाय पूछा.
इसके बाद कबीर दास जी ने अपनी पत्नी को एक दीपक जला कर लाने को कहा. उनकी पत्नी ने जलता हुआ दीपक लाकर उनके पास रख दिया. शिष्य सोचने लगा कि आखिर इतनी कड़ी धूप में दिए की क्या जरूरत है? इसके बाद कबीर दास ने अपनी पत्नी को खाने के लिए कुछ मीठा लाने को कहा लेकिन उनकी पत्नी मीठे की जगह नमकीन लेकर आईं. शिष्य फिर हैरान रह गया.
शिष्य सोचने लगा है मीठी चीज लाने की बजाय कबीर जी की पत्नी नमकीन लेकर क्यों आई? उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था और वह वहां से उठकर जाने लगा. तभी कबीर दास जी उसे रोककर समझाया. कबीर जी ने कहा, मेरी पत्नी इतनी धूप में दीपक लेकर आई क्योंकि उसने सोचा कि मुझे इसका कुछ काम होगा. वहीं मेरे मीठा मंगाने पर वह नमकीन लेकर आई तो हो सकता है कि इस समय घर में कुछ मीठा ना हो. यह मेरे और मेरी पत्नी के बीच अटूट विश्वास है.
कबीर दास जी ने उस व्यक्ति को समझाते हुए कहा, ऐसी बातों पर आपसी टकराव करने की बजाय इसके पीछे का कारण जानना चाहिए. यह एक सुखी गृहस्थ जीवन का खास रहस्य है कि, आपसी विश्वास बढ़ाने से ही तालमेल बना रहता है. यह सुनकर उस व्यक्ति ने कबीर दास का दिल से आभार जताया और खुशी-खुशी वहां से गया.
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