Hariyali Amavasya Date: इस बार सावन के दूसरे सोमवार, 17 जुलाई को हरियाली अमावस्या है. करीब 3 वर्ष बाद ऐसा संयोग बना है, जब सावन सोमवार को सोमवती और हरियाली अमावस्या का संयोग है. शिव प्रिय सावन माह की अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहते है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पूर्वजों के निमित्त पिंडदान एवं दान-पुण्य करने से आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति और आपके जीवन के सभी कष्ट दूर होते है.
हरियाली अमावस्या पर बना शुभ योग
हरियाली अमावस्या के दिन पुनर्वसु नक्षत्र होने के साथ-साथ बुधादित्य योग, वाशी योग, व्याघात योग और सुनफा योग का संयोग भी बन रहा है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. अगर नदियों में स्नान संभव नहीं हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है. इससे भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
हरियाली अमावस्या के दिन सोमवती अमावस्या होने से इस दिन का विशेष महत्व भी बढ़ जाता है. कालसर्प दोष, पितृ दोष, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का भी ये दुर्लभ समय है. पितृदेव अमावस्या तिथि के स्वामी हैं इसलिए इस दिन किए गए दान से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस समय कराएं पितरों की शांति
हरियाली अमावस्या के दिन दोपहर के बाद का समय पितरों से संबंधित धर्म-कर्म के लिए श्रेष्ठ होता है. पितृ शांति के लिए इस दिन धूप-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण, पितृ सूक्त, गीता पाठ, गजेंद्र मोक्ष इत्यादि का पाठ करें. दूध में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हुए ऊँ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें.
ऐसे करें पितरों का तर्पण
हरियाली अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं. पांच तरह की मिठाइयों को अलग-अलग पांच पीपल के पत्तों पर रख कर 'ऊँ सर्वेभ्यो पितृदेवेभ्यो नमः' मंत्र का 15 से 20 मिनट जाप करें. इसके बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और पितरों से अपनी गलतियों की क्षमा मांगें. इसके बाद उस प्रसाद को गरीबों में बांट दें. इससे आपके घर में पितरों की कृपा बनी रहेगी.
इस दिन शिवलिंग पर जल की पतली धार गिराते हुए ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जप करें, फिर 11 बिल्व पत्र पर चंदन से ऊँ लिखकर अर्पित करे. इसके बाद श्रीमद्भागवत गीता, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. ऐसा करने से पति को दीर्घायु होने का वरदान मिलता है. इस दिन आटे का दीपक बनाकर दीप दान करें. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और हर संकट से छुटकारा मिलता है.
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