चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय परंपरा में नववर्ष का प्रारंभ होता है. इसी दिन चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. साथ ही भारत में नव विक्रम संवत प्रारंभ होता है. नव संवत्सर विक्रम संवत 2078 होगा. इस नव वर्ष के राजा और मंत्री दोनों मंगल ग्रह हैं. मंगल देव अग्नि और बल के प्रतीक हैं. ऐसे में नव संवत्सर दुनिया में नवोत्साह और ऊर्जा का संचार करने वाला है.


इस बार मंगल के पास राजा और मंत्री के महत्वपूर्ण पद हैं. नव संवत्सर का आरंभ जिस वार से होता है, वही वर्ष का राजा होता है. इस बार यह प्रारंभ मंगलवार से हो रहा है. मंगलदेव के प्रभाव से लोगों में जीवटता और साहस बढ़ेगा. संघर्ष में लोग और अधिक मजबूती से खड़े नजर आएंगे. अवरोध आएंगे लेकिन प्रभावहीन रहेंगे.


मंगलवार को नवरात्रि का आरंभ भी शक्ति पूजा के लिए श्रेष्ठ बन पड़ा है. यह शक्ति संचय का वर्ष रहने वाला नववर्ष है. हालांकि ऊर्जा की अधिकता में गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है. वर्षा ऋतु में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ सकती हैं. खंड वर्षा के योग बन सकते हैं.


इनमें आएगी तेजी


राजा और मंत्री मंगल के अतिरिक्त सस्येश शुक्र, धान्येश गुरु, मेघेष मंगल, रसेश रवि, नीरसेश शुक्र, फलेश चंद्र, धनेश शुक्र और दुर्गेश मंगल होंगे. मंगल के प्रभाव से खेल प्रतिस्पर्धा और अन्य भौतिक गतिविधियों में तेजी आएगी. धनेश शुक्रदेव होने से लक्ष्मी मां की कृपा सभी बनी रहेगी.


धान्येश गुरु अच्छी पैदावार और फसल होने के अधिकारी हैं. नववर्ष में धनधान्य की प्रचुरता बनी रहेगी. रसेश रवि होने से प्रकृति में इस बार रस अर्थात आनंद की सीमितता रहेगी. देश और समाज में आवश्यक कार्य ही गति पाएंगे. कला संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों का प्रभाव साधारण रहेगा.


नव संवत्सर का नाम इस बार राक्षस बताया गया है. ऐसे में इस वर्ष तामस प्रवृत्तियों की अधिकता देखी जाएगी. लोगों का व्यवहार आकस्मिक और असामान्य रह सकता है. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार कुल 60 संवत्सरों का उल्लेख मिलता है.