Holashtak 2023: आज से फिर शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य, होलिका दहन के साथ होलाष्टक का होगा समापन
Holashtak 2023: होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और आठ दिन बाद यह सामाप्त होता है. होलाष्टक के दौरान शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. होलाष्टक 07 मार्च को समाप्त हो रहा है.
Holashtak 2023 End Date: हिंदू धर्म में होलिका दहन से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है और होलिका दहन के बाद होलाष्टक समाप्त हो जाता है. होलाष्टक के दौरान 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है. हालांकि पूजा-पाठ, मंत्रोच्चारण, यज्ञ और दान आदि जैसे कार्यों पर कोई मनाही नहीं होती है. मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ और पूजा-पाठ करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है.
हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व होता है. फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होती है. लेकिन इससे पहले फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाता है. इसे होलिका अष्टक या होला अष्टक भी कहा जाता है. होलाष्टक का अर्थ होता है होली के पहले के आठ दिन. इन आठ दिनों में शुभ-मांगलिक कार्य संपन्न नहीं होते हैं.
क्यों होलाष्टक में वर्जित होते हैं शुभ-मांगलिक कार्य?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के 8 दिनों में राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा और उनकी भक्ति करने से रोका था. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को रोकने के लिए कई तरह की दुख और यातनाएं दी. जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकश्चप आखिर में अपनी बहन होलिका के पास गया और प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया. क्योंकि होलिका को आग से न जलने का वरदान प्राप्त था. होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई. लेकिन प्रह्लाद आग से बच गया और होलिका उसमें जलकर भस्म हो गई. इसलिए होली से पहले होलिका दहन किए जाने की परंपरा है. माना जाता है कि, होलिका दहन से पहले आठ दिनों तक हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद पर तरह-तरह के अत्याचार किए जोकि उसके लिए बहुत कठिन थे. यही कारण है कि, होलाष्टक के आठ दिनों के समय को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है.
कब खत्म हो रहा है होलाष्टक
होलाष्टक की शुरुआत 27 फरवरी 2023 को हुई थी जोकि 07 मार्च को होलिका दहन के दिन समाप्त हो रहा है. होलाष्टक के समाप्त होते ही शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे. यानी 08 मार्च के बाद से विवाह, गृहारंभ, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि जैसे शुभ कार्य फिर से किए जा सकेंगे.
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