नई दिल्ली: आज छोटी होली है और 21 मार्च को रंगों की होली है. आज के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की जाती है. आज हम आपको बता रहे हैं होलिका दहन का सही समय क्या है. किस समय आपको होलिका दहन नहीं करना है. चलिए जानते हैं गुरूजी पवन सिन्हा से होलिका दहन का सही समय क्या है.
• होलिका दहन भद्रा के समय बिल्कुल भी ना करें. भद्रा आज सुबह 9.25 से रात 8.15 बजे तक रहेगा.
• होलिका दहन का समय रात 8:58 से 12:28 मिनट तक है.
• होलिका दहन के बाद जलती हुई होलिका की परिक्रमा करें और प्रसाद वितरित करें.
• होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा करें.
• होली की पूजा के दौरान अपने क्षेत्र की फसल लेकर परिक्रमा करें.
• गौमाता के गोबर से उपले बनाकर उसमें छेद करें.
• हर सदस्य के हिसाब से 5 उपले लेकर उसे एक धागे में पिरोएं.
• धागों के साथ उपलों का हार चढ़ाएं.
• होलिका में अनाज, घी और गुड़ के अलावा कुछ और ना डालें.
• मिठाई भी चढ़ाकर प्रसाद के रूप में वितरित करें.
• होलिका की पूजा सूरज ढलने से पहले ही कर लें.
होलिका दहन का महत्व-
धुलण्डी यानि रंगोंत्साव से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन के पीछे भी एक पुराणिक कथा प्रचलित है. कथानुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था. अपने बल के दम पर वह खुद को ही ईश्वर मानने लगा था. उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था. प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती. हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे. आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया. ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है.
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