कब करें होलिका दहन? जानिए होलिका दहन का महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में
Holi 2019: 20 मार्च को होलिका दहन है. आज गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं होलिका दहन का शुभ समय क्या है. साथ ही जानिए किस समय ना करें होली की पूजा.
नई दिल्ली: 20 को होलिका दहन और 21 मार्च को रंगों वाली होली है. लेकिन क्या आप जानते हैं होली की शुरूआत कब से हुई? आज गुरूजी पवन सिन्हा बता रहे हैं होली के बारे में कुछ अनजानी बातें. साथ ही जानें होलिका की पूजा का शुभ समय कौन सा है.
गुरूजी के मुताबिक, होली ऋग्वेद के समय से मनाई जा रही है. होली पर घर के अनाज की यज्ञ में आहूति दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यज्ञ में डाला हुआ अनाज भगवान तक पहुंचता है. भगवान का धन्यवाद करने के लिए होलिका दहन किया जाता है.
गुरूजी के मुताबिक, यदि आपके घर में कोई समस्या आ रही है तो आपको होली की भस्म को घर लाकर ठंडा करके रखना चाहिए.
होलिका दहन का शुभ समय -
- होलिका दहन भद्रा के समय बिल्कुल भी ना करें. होलिका दहन का समय रात 8:58 से 12:28 मिनट तक है.
- होली की पूजा के दौरान अपने क्षेत्र की फसल लेकर परिक्रमा करें.
- गौमाता के गोबर से उपले बनाकर उसमें छेद करें.
- हर सदस्य के हिसाब से 5 उपले लेकर उसे एक धागे में पिरोएं.
- धागों के साथ उपलों का हार चढ़ाएं.
- होलिका में अनाज, घी और गुड़ के अलावा कुछ और ना डालें.
- मिठाई भी चढ़ाकर प्रसाद के रूप में वितरित करें.
होलिका दहन का महत्व- धुलण्डी यानि रंगोंत्साव से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन के पीछे भी एक पुराणिक कथा प्रचलित है. कथानुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था. अपने बल के दम पर वह खुद को ही ईश्वर मानने लगा था. उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी. हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था. प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती. हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे. आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया. ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है.
होलिका पूजन की सामग्री- कई जगहों पर होलिका की पूजा के लिए होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. इसके अलावा पूजा सामग्री में रोली, फूलों की माला और फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, मूंग, नारियल, पांच या सात तरह के व्यंजन, फसलों की बालियां, जौ या गेहूं और साथ में एक लोटा पानी रखा जाता है. इसके साथ ही मिठाईयां, फल आदि भी पूजा के दौरान चढ़ाए जाते हैं.ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.