विदेश संबंधी मामले ज्योतिष में कुंडली के बारहवें भाव और नौवां भाव से देखे जाते हैं. इन्हें क्रमशः निवेश और भाग्य के भाव माना जाता है. जातक की कुंडली में ज्यादातर ग्रह बारहवें भाव में हों तो इसकी संभावना अधिक रहती है कि वह जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में अधिक तरक्की करेगा.
भाग्य भाव का संबंध लंबी यात्राओं और उच्च शिक्षा से जाना जाता हैं. विदेश जाने के लिए लंबी दूरी की यात्रा का योग होना अनिवार्य है। शिक्षा व्यक्ति को सफलता में सहायक होती है. वह उच्चशिक्षा से विदेश में सफलता जल्दी पा लेता है.
इसी प्रकार कुछ लोगों की कुडली में 7वां भाव भी बलवान होता है तो ऐसे लोग साझेदारों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित कर विदेश में नाम कमाते हैं. व्यापार और नेतृत्व के बल पर विदेश जाते हैं. सातवां भाव शादी के लिए भी महत्वपूर्ण होता है. कुछ लोग जीवनसाथी के साथ विदेश जाते हैं और वहां बस जाते हैं.
हाथ में इसके स्पष्ट संकेत देखे जाते हैं. जीवन रेखा से एक या अधिक रेखाएं निकलकर चंद्र पर्वत पर जाती हैं तो विदेश यात्रा का योग बनाती हैं. ये रेखाएं जितनी स्पष्ट और लंबी होती हैं उतनी अधिक संभावना प्रबल होती है.
इसके साथ हाथ में अच्छी मस्तिष्क रेखा के साथ जीवन रेखा से अन्य रेखा उूपर की ओर उठती नजर आए तो व्यक्ति के जीवन में अवसर का संकेत देती है. इस के साथ चंद्र पर्वत मजबूत हो तो व्यक्ति यात्राओं से लाभ कमाता है.