ज्योतिष शास्त्र: संतान होना स्त्री का सौभाग्य माना जाता है, विवाहोपरान्त व्यक्ति संतान की प्रतीक्षा करने लग जाता है. कुल की वृद्धि और उसको आगे ले जाने का दायित्व दंपतियों पर आ जाता है, ऐसे में यदि संतान न हो तो लोग धार्मिक, चिकित्सा और ज्योतिष का सहारा खोजने निकल पड़ते हैं. संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं. 


ज्योतिष के अनुसार यदि पत्नी की कुंडली में संतान कारक बृहस्पति से पंचम भाव का स्वामी छठे स्थान, आठवें एवं बारहवें भाव में हो या पंचम, सप्तम एवं नवम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है, इसके लिए सूर्य और गाय की पूजा करनी चाहिए, उनके आशीर्वाद से जल्द संतान होने की संभावना होती है. 


किसी भी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ( यदि उस दिन रविवार पड़े तो अच्छा होगा) सूर्यनारायण को जल से अर्घ्य दें, पुष्प आदि से पूजन कर एक फल का भोग अवश्य लगाएं (फल को पूजा के उपरान्त बिना काटे खा लें) और संतान प्राप्ति की कामना प्रकट करें. संभव हो तो एक टाइम बिना नमक का भोजन ग्रहण करें. वर्ष पर्यंत रविवार को व्रत करके व्रत की विधिवत समाप्ति करना चाहिए. ऐसा माना गया है कि सूर्य भगवान की कृपा से प्रभावशाली संतान की प्राप्ति होगी. 


पूर्वजन्म में दूसरों के गर्भपात व संतान को मारने के दुष्परिणाम के कारण ही जन्मों जन्म तक व्यक्ति संतान को लेकर तरस सकता है. पापों के प्रायश्चित के लिए ईश्वर से क्षमा मांगें. गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 2500 बार जाप करें और अंत में हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं. यदि बार-बार गर्भपात होता हो तो मंदिर व जहां धार्मिक कार्यक्रम होता है वहां घी दान देना चाहिए. छोटे बच्चों को भोजन करना चाहिए. किसी पशु पक्षी का घोंसला नहीं तोड़ना चाहिए.


संतान बाधा से मुक्ति के लिए गौरी पूजन करना चाहिए. यह पूजन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ करके 16 दिन लगातार करें. एक बार ही खाना खाएं यानी प्रतिदिन व्रत रखें. ' बंध्यत्व हर गौर्ये नमः ' मंत्र का प्रतिदिन 16 हजार या जितनी अधिक बार आप कर सकें, उतनी बार जप करें. अंतिम दिन तिल के तेल से भरा दीपक गौरी के सम्मुख जलाकर रख दें और रात्रि भर जागरण व गौरी भजन-कीर्तन करें.  भजन-कीर्तन के उपरान्त 16 ब्राह्मण-ब्राह्मणियों को भोजन करवा कर सभी को वस्त्र आदि का दान दें, और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें. मां गौरी आपकी मनोकामना पूर्ण करेगी.


संतान प्राप्ति के लिए गो पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है. यह पूजन कार्तिक, मार्गशीर्ष या वैशाख के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से आरंभ करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में सभी देवी देवताओं का वास होता है , इसलिए यह पूजन फलदायी होता है. गुरुवार के दिन गाय को पूर्वाभिमुख खड़ा करके तथा स्वयं उत्तराभिमुख खड़े होकर उसकी माथे के मध्य में रोली से टीका लगाएं और फूल चढ़ाएं. तत्पश्चात कुछ भोजन, लड्डू पेड़ा , बताशा या गुड़ खिलाएं. ( यदि गाय आपके आस-पास न होतो गौशाला आदि में 1 वर्ष के लिए चारे का इंतजाम करा सकते हैं) हाथ जोड़कर और नतमस्तक होकर संतान प्राप्ति की प्रार्थना व अभिलाषा प्रकट करें. 


आपकी श्रद्धा - भक्ति से यह संभव है कि पापों का शमन होगा. इसके शमन होते ही यह फलदायी हो जाए. संतान प्राप्ति हेतु मुख्य पांच व्रतों या माध्यमों में गो-पूजन को प्रमुख स्थान दिया गया है. जो भी उपाय करें उसे पूरे मन व श्रृद्धा से करें, ईश्वर आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेगा.


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