ज्योतिष में नौ ग्रहों के उपायों के लिए नौ रत्न और विभिन्न उपरत्नों का वर्णन मिलता है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण रत्न हीरा, माणिक, पुखराज नीलम और पन्ना हैं. मंगल का रत्न मूंगा कोरल रीफ से बनता है. जैविक होता है. चंद्रमा के लिए पहने जाने वाला मोती समुद्र में पाई जाने वाली सीपों में पाया जाता है. इसका निर्माण सीप की जैव संरचना के कारण से होता है. मूंगा और मोती आंशिक दोष होने पर भी ये स्वीकार्य होते हैं.


हीरा, माणिक, पुखराज, नीलम और पन्ना पृथ्वी पर विभिन्न धातुओं के समान पाए जाते हैं. इनमें जाला, जीरम और लाइन्स होती हैं. इन्हें गहराई से परख कर ही लिया जाना चाहिए. योग्य विद्वान की जांच के बिना दोषपूर्ण रत्न धारण करने से व्यक्ति को लाभ की अपेक्षा नुकसान भी हो सकता है. विशेषतः नीलम और पुखराज के मामले में अत्यधिक ध्यान रखना चाहिए. दोषपुर्ण पुखराज से धनहानि अथवा पद प्रतिष्ठा की स्थिति प्रभावित हो सकती है. नीलम में दोष होने पर आकस्मिक घटनाक्रम की आशंका बढ़ जाती है. लोग इस कारण कई बार नीलम धारण करने से बचते भी हैं.

उक्त दोषों के अलावा रत्नों में काले लाल पीले धब्बे होते हैं. उच्च क्वालिटी के रत्न कट, कलर और क्लैरिटी में फाइन होते हैं. हीरे में विशेषतः इन तीनों पर गंभीरता से विचार किया जाता है. हीरे के शुक्र ग्रह के लिए धारण किया जाता है. पुखराज बृहस्पति ग्रह के लिए पहना जाता है. माणिक सूर्य का रत्न है. पन्ना बुध का रत्न है.