शॉप मतलब वह स्थान जहां से वस्तुओं को बेचा जाता है. उन्हें वहां बेचने के लिए ही रखा जाता है. वस्तुओं का ठहराव यहां अच्छा नहीं माना जाता है. दुकान के लिए सबसे महत्वपूर्ण उसका दरवाजा होता है. लोग अच्छी लोकेशन पर बेहतर दिशा द्वार के लिए ही दुकान का कई गुना ज्यादा मूल्य चुकाने को तैयार रहते हैं.


दुकान की सबसे बड़ी खूबी यह होनी चाहिए कि उसे बैठै सिंह की आकार में होना चाहिए. सिंह जब बैठा हुआ होता है उसका पिछला हिस्सा छोटा नजर आता है. चेहरे वाला भाग बड़ा दिखाई पड़ता है. दुकान में भी इसी आकार को प्रधानता दी जानी चाहिए. अंदर की दीवार की अपेक्षा बाहरी भाग बड़ा होना चाहिए. इसके अनुसार ही द्वार भी बनाया जाना चाहिए.इससे दुकान का प्रभाव और प्रचार बेहतर बना रहता है. वस्तुओं का डिस्प्ले भी बेहतर नजारा आता है. इसके विपरीत शॉप का मुंह गौमुखाकार होने से बिक्री पर असर पड़ने की आशंका रहती है. गौमुखाकार में वस्तुओं के देर तक ठहरने की स्थिति को बल मिलता है. इससे वह गोदाम की तरह का प्रभाव देने लगती है.


दुकान सिंहाकार न हो चौकोर एवं आयताकार हो तो भी सकारात्मक होती है. गौमुखाकार शॉप से बचना चाहिए और यथासंभव इसका उपाय किया जाना चाहिए. कई बार दुकान का आकार तो अच्छा होता है लेकिन काउंटर अथवा बड़े सामानों को आगे रखकर उसे संकरे द्वार वाली स्थिति में ला दिया जाता है. इससे भी आंशिक ही सही गौमुखाकार जैसी स्थिति बन जाती है. इस का हर हाल ध्यान रखा जाना चाहिए. बाहर की ओर रंगों का प्रयोग भी ब्राइट किया जाना चाहिए.