Rahu-Ketu Upay: ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को क्रूर ग्रह माना गया है.  इन दोनों ग्रहों को ज्योतिष में छाया ग्रह की उपाधि दी गई है. राहु-केतु को मायावी ग्रह कहा गया है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोनों ग्रह सकारात्मक हों वो व्यक्ति शेयर बाजार और सट्टा, लॉटरी में अच्छा लाभ कमाता है. साथ ही व्यक्ति राजनीति के उच्छ शिखर तक पहुंचता है. शुभ होने पर यह ग्रह राजयोग जैसा सुख देते हैं.


ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि राहु-केतु के बारे में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है. कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था. हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई. तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में है.



वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक अशुभ ग्रह है. हालांकि अन्य ग्रहों की तुलना में इसका कोई वास्तविक आकार नहीं है. इसलिए राहु को छाया ग्रह कहा जाता है. स्वभाव के अनुसार, राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है. राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है. राहु कुंडली में शुभ होने पर शुभ फल भी देता है. इसके शुभ फल से व्यक्ति धनवान और राजयोग का सुख भी प्राप्त करता है. यह जब कमजोर स्थिति में होता है तो उसके फल नकारात्मक मिलते हैं.


वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व


वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह को भी एक छाया ग्रह माना गया है. यह मोक्ष, अध्यात्म और वैराग्य का कारक है और एक रहस्यमी ग्रह है. इसलिए जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ होता है तो वह उस व्यक्ति की कल्पना शक्ति को असीम कर देता है. जबकि अशुभ होने पर यह इंसान का सर्वनाश कर सकता है. केतु ग्रह किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है. 


अशुभ राहु-केतु के उपाय


जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता. जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें. 


किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें. इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. 'ओम नमः भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करने से भी विशेष लाभ होता है.


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