Indira Ekadashi Vrat: आज यानी 10 अक्टूबर को श्राद्ध पक्ष की इंदिरा एकादशी मनाई जा रही है. पितरों के उद्धार के लिए इंदिरा एकादशी का बहुत महत्व माना गया है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो लोग इस व्रत को करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस एकादशी पर भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है.
इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि
इंदिरा एकादशी को श्राद्ध पक्ष की एकादशी कहा जाता है. इस दिन के विशेष पूजन से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन सुबह उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. एकादशी के दिन पूरी विधि से पूर्वजों का श्राद्ध करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कौए और कुत्ते को भी भोज्य पदार्थ दें. इसके बाद भगवान शालिग्राम की पूजा करें. उन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं. पूजा में अबीर, गुलाल, अक्षत, यज्ञोपवीत, फूल होने चाहिए. इसके साथ ही तुलसी पत्र जरूर चढ़ाएं. इसके बाद तुलसी पत्र के साथ भोग लगाएं.
इस एकादशी की कथा पढ़कर आरती करें. इसके बाद लोगों में पंचामृत बांटे. इस दिन पूजा और प्रसाद में तुलसी की पत्तियों का प्रयोग जरूरी माना जाता है. व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें. इसके बाद परिवार के साथ मिलकर व्रत का पारण करें.
इंदिरा एकादशी का महत्व
ग्रंथों में कहा गया है कि श्राद्ध के दिनों में भगवान विष्णु पूजा करने से पितर जल्द तृप्त होते हैं. पुराणों में कहा गया है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से कन्यादान और हजारों साल तपस्या से के बराबर पुण्य मिलता है. यह एकादशी पितृ पक्ष में आती है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. ग्रंथों के मुताबिक इस एकादशी पर पूरे विधान से व्रत कर इसके पुण्य को पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ मिल जाता है. पूर्वजों के साथ इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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