Vastu Tips : जब वास्तु की बात होती है तो घर का मुख किस दिशा में है व्यक्ति इसको सबसे ज्यादा महत्व देता है. वास्तु में यह मुख तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन आज उस विषय पर बात करने जा रहे हैं जिसको लोग अक्सर सबसे आखिरी में देखते हैं. वह है आपका शौचालय. इसके सही जगह न होने से भयंकर परिणामों प्राप्त हो सकते हैं. व्यक्ति सारे जीवन जो भी काम करता है वह अपनी संतान के लिए ही करता है. संतान कुल को आगे ले जाने वाली होती है लेकिन यदि शौचालय ऐसे स्थान पर हो जहां से संतान ही प्रभावित हो जाए तो निस्संदेह स्थिति बहुत ही विकट हो जाएगी.  


पूर्व में शौचालय कमजोर करें आंख - 


यदि पूर्व में शौचालय है तो इससे आंखें कमजोर हो जाती हैं. चरित्र संबंधी दोष और नैतिक मूल्यों का भी हृास होने लगता है. दरअसल, शारीरिक और मानसिक दोनों दृष्टि से स्वास्थ्य रहने के लिए पेट साफ होना सबसे आवश्यक है. इसलिए वास्तु के आदि ग्रंथों में शौचालय का स्थान निर्धारित कर इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. भोजन करना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही मल विसर्जित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.


सही स्थान पर शौचालय न होना परिवार के लिए कई समस्याओं का मुख्य कारण बनता है. जिस कार्य के लिए जो स्थान नियत है उसे यथा स्थान पर होना चाहिए. इसमें गड़बड़ी से ही सभी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. यदि पूर्व में शौचालय है तो इससे दृष्टि दोष आता है. आंखे कमजोर हो जाती है. चरित्र संबंधी दोष और नैतिक मूल्यों का हृास होने लगता है. यहां शौचालय होने से ज्ञान कुपित होता है जिससे जीवन में अज्ञान और अंधकार बढ़ता है. प्रतिष्ठा का हृास तथा ऋण चढ़ने लगता है, इसलिए स्नान गृह पूर्व दिशा में हो किंतु शौचालय बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. यहां पर वास्तु पुरुष का मस्तक होता है. अगर ईशान कोण में शौचालय हो तो उस परिवार की भाषा, भोजन और बुद्धि दूषित हो जाती है. देवता नाराज रहते हैं. मन में भय और अशांति व्याप्त रहती है. 


संतान होने में करता है रुकावट -


ईशान कोण में शौचालय नेटवर्क को कमजोर करता है, इसमें व्यक्ति के जो भी संपर्क होते हैं वह वक्त पड़ने पर काम नहीं आते हैं. साथ ही काम में दिमाग नहीं लगता है व्यक्ति सोचता कुछ है और करता कुछ और है. इसके अतिरिक्त संतान से संबंधित भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ईशान कोण का शौचालय संतान को आने में रुकावट पैदा करता है, और यदि संतान हो भी जाए तो रोग पीछा नहीं छोड़ता. घर में पेट से संबंधित रोग रहते हैं, और घर का जल भी दूषित रहता है यानी पानी से संबंधित रोग हो सकते हैं. 


घर के बीच में शौचालय घातक -


ब्रह्म स्थान (घर का मध्य स्थान) में शौचालय है तो इसका अर्थ है कि वास्तुपुरुष के नाभी को प्राण वायु नहीं मिल पा रही है. ऐसे घर में निवास करने वालों की प्रगति किसी लंबी बीमारी के कारण रुक जाती है. उत्तर दिशा में भी अगर शौचालय हो तो दरिद्रता देता है. कभी भी धन जुड़ नहीं पाता है और जो धन संचय होता है वह भी व्यर्थ के कामों में खर्च हो जाता है. देखा गया है कि ऐसे घर के लोगों को मेहनत से बहुत कम ही मिलता है.


यहां बनाए शौचालय -


वास्तु शास्त्र में दक्षिण पश्चिम और दक्षिण के मध्य में शौचालय बनवाने का विधान दिया गया है. विश्वकर्मा प्रकाश में उल्लेखित है – यम (दक्षिण) या नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) के मध्य मल त्यागने का स्थान बनवाना चाहिए. दक्षिण दिशा का स्वामी यम है और नैऋत्य स्थान राहु का है इन दोनों के बीच में ही शौचालय का विधान प्राचीन ऋषियों ने दिया है. 


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