आपने अक्सर सुना होगा कि जिस व्यक्ति की कुंडली में रोजयोग होता है वह राजा बन जाता है या राजा के समान जिंदगी जीता है. किस्से कहानियों में कई बार राजयोग का जिक्र आता है. क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे किसी की कुंडली में राजयोग बनता है.


कुंडली में नौवें और दसवें स्थान का बहुत महत्व माना गया है. नौवें स्थान को भाग्य का और दसवें स्थान को कर्म का स्थान माना गया है. इसलिए अगर आपके नौवें और दसवें भाव में ग्रहों की स्थिति सही होती है, तो व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार राजयोग बन सकता है. हम आपको बता रहे हैं कि राजयोग कैसे बनता है-


मेष लग्न की कुंडली: मंगल ग्रह और बृहस्पति भाग्य भाव यानि नौवें और कर्म भाव अर्थात् दसवें भाव में होने पर राजयोग बनता है.


वृष लग्न की कुंडली:  नौवें और दसवें स्थान में शुक्र और शनि ग्रह मजबूत स्थिति में विराजमान होने पर राजयोग का निर्माण होता है.


मिथुन लग्न की कुंडली: जब बुध या शनि ग्रह नौवें या दसवें भाव में एक साथ विराजते हैं.


कर्क लग्न की कुंडली: जब चंद्रग्रह और बृहस्पति आपके भाग्य या कर्म भाव में हो तब यह केंद्र त्रिकोंण राज योग का कारक बनता है.


सिंह लग्न की कुंडली: अगर नौवें और दसवें भाव में जब सूर्य और मंगल अच्छी स्थिति में मौजूद होते हैं, तो राज योग का योग बनता है.


कन्या लग्न की कुंडली:  नौवें और दसवें स्थान (भाग्य और कर्म भाव) में जब बुध और शुक्र एक साथ उपस्थित हो तब राजयोग बनता है.


तुला लग्न की कुंडली: जब भाग्य और कर्म स्थान में शुक्र एवं बुध अगर एक साथ आ जाते है.


वृश्चिक लग्न की कुंडली: जब सूर्य और मंगल ग्रह नौवें और दसवें स्थान में एक साथ विराजते हैं तब राजयोग बनता है. कुंडली में भाग्य और कर्म भाव में चंद्रमा और मंगल के मजबूत स्थिति में होने पर भी शुभ फल की प्राप्ति के योग बनते हैं.


धनु लग्न की कुंडली: बृहस्पति और सूर्यग्रह को राजयोग का कारक माना गया है ऐसे में अगर नौवें या दसवें स्थान पर ये दोनों ग्रह एक साथ उपस्थित हो तो ग्रहों की इस स्थिति के कारण कुंडली में राजयोग बनता है.


मकर लग्न की कुंडली: जब शनि और बुध एक साथ भाग्य या कर्म भाव में मौजूद होते हैं तो राजयोग का निर्माण होता है.


कुंभ लग्न की कुंडली: जब शुक्र और शनि ग्रह भाग्य और कर्म भाव में उपस्थित होते हैं तो ऐसे लोगो का जीवन राजा के समान हो जाता है.


मीन लग्न की कुंडली: जब गुरु और मंगल ग्रह नौवें और दसवें स्थान पर एक साथ उपस्थित होते हैं, तब ग्रहों की यह स्थिति राजयोग बनाती है.


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