Ishta Devata: तुला राशि के इष्ट देव हैं कालभैरव और शनिदेव, राशियों के अनुसार जानें अपने इष्ट देव
Ishta Devata: इष्ट देव की पूजा जीवन को कई परेशानियों से बचाती है लेकिन कई बार लोगों को इष्ट देव के बारे में सही जानकारी नहीं होती है. इष्टदेव का संबंध हमारी राशि से होता है.
Ishta Devata in Hindi: इष्ट देव का ज्ञान होने से पूजा का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है. लेकिन इष्ट देव का पता न होने की स्थिति में हम कई परेशानियों से घिरे रहते हैं. इष्ट देव का सही ज्ञान हमें कई तरह की परेशानियों से भी बचाता है. इष्ट देव का अर्थ होता है अपनी पसंद के देवता. ज्योतिष शास्त्र में इसका निर्धारण राशियों के जरिए किया गया है. हर राशि के एक इष्ट देव होते हैं. इनकी विधि पूर्वक पूजा और आराधना करने से रोजमर्रा के जीवन में आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है. इष्ट देव की पूजा करने से बहुत जल्दी अच्छे फल प्राप्त होते हैं.
राशि का निर्धारण कैसे होता है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के जिस भाव में चंद्रमा को गोचर होता है यानि चंद्रमा विराजमान रहता है, वही व्यक्ति की राशि होती है. यानि चंद्रमा यदि मेष राशि में है तो व्यक्ति की राशि मेष होगी.
जन्म कुंडली का पंचम भाव इष्ट देव का निर्धारण जन्म कुंडली के पांचवे भाग से भी किया जाता है. कुंडली के पंचम भाव से पूर्व जन्म, कर्म, ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा, प्रेम आदि का पता लगाते हैं. कुंडली का यह भाव बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इष्ट देव का पता लगाने के लिए इस भाव को देखा जाता है. इसके साथ ही कुंडली का नवम भाव भी महत्वपूर्ण माना गया है. नवम भाव कुंडली का धर्म आदि के बारे में जानकारी प्रदान करता है.
तुला राशि वालों के लिए बन रहा है विशेष योग तुला राशि के इष्ट देव कालभैरव और शनिदेव माने गए हैं. 13 मार्च को शनि अमावस्या है. जिन लोगों की तुला राशि है, उनके लिए यह दिन पूजा के लिए विशेष है.
राशि के अनुसार ज्ञात करें अपने इष्ट देव मेष: सूर्य देव वृष: भगवान विष्णु मिथुन: मां लक्ष्मी कर्क: हनुमान जी सिंह: भगवान गणेश कन्या: मां काली तुला: कालभैरव और शनि देव वृश्चिक: भगवान कार्तिकेय धनु: हनुमान मकर: दुर्गा जी कुम्भ: भगवान विष्णु या मां सरस्वती मीन: भगवान शिव जी
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