Jagannath Yatra 2023: जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, जानें इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
Jagannath Yatra: विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत आज से होगी. हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन निकाली जाती है.
Puri Rath Yatra 2023: पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र धामों में से एक है. पुरी की जगन्नाथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह यात्रा हर साल जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार (सिंहद्वार) से शुरू होती है और पूरी नगर में तीन महीने तक चलती है. यह यात्रा भक्ति और धार्मिक महत्व की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह यात्रा रथयात्रा, गुंडीया यात्रा और निलाद्री विजय यात्रा के तीन अवस्थाओं में विभाजित होती है.
इस यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा को उनके मंदिर से एक मार्ग पर पुरी के गुण्डीचा मंदिर तक ले जाया जाता है. यात्रा की प्रारंभिक अवस्था रथयात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को उनके विशेष रथों में स्थानांतरित किया जाता है. यह रथयात्रा पूरे धार्मिक उत्साह के साथ मनाई जाती है. इसमें हजारों लोग भाग लेते हैं जो रथ को धकेलते हैं और उसे पुरी नगर तक ले जाते हैं.
दूसरी अवस्था गुंडीया यात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के दर्शन के लिए एक विशेष गुंडीया में वापस लाए जाते हैं. इसमें उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. उनके दर्शन करने के लिए भक्तों का भी एक विशेष आयोजन किया जाता है.
तीसरी और अंतिम अवस्था निलाद्री विजय यात्रा होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को उनके मंदिर में वापस ले जाया जाता है. इस अवस्था में विभिन्न पूजा-अर्चना आयोजन किए जाते हैं और भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
जगन्नाथ यात्रा को भारतीय संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और यह यात्रा पुरी नगर के बाहर से आने वाले भक्तों को सामूहिक आनंद और भक्ति का अनुभव कराती है. इसके अलावा यह यात्रा प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि जो लोग भी सच्चे भाव से इस यात्रा में शमिल होते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस यात्रा के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. जगन्नाथजी की रथयात्रा में शामिल होने का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है.
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