जन्म कुंडली : व्यक्ति के जीवन में शिक्षा और उच्च पद का बहुत महत्व होता है. ये दोनों व्यक्ति को तभी प्राप्त होते हैं जब उसकी जन्म कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी हो और ये कुंडली के शुभ भाव में बैठे हों. जन्म कुंडली में गुरु जब अच्छी स्थिति में बैठ जाते हैं तो व्यक्ति को फर्श से अर्श पर बैठा देते हैं. गुरु व्यक्ति को जब भी देता है तो बहुत बड़ा लाभ देता है.
ये किसी भी क्षेत्र में हो सकता है. उच्च पद दिलने में गुरु की बड़ी भूमिका होती है. गुरु की कृपा से ही व्यक्ति विद्वान बनता है. गुरु जिस किसी की भी कुंडली में शुभ स्थान पर बैठे जाते हैं उसे जीवन में कोई भी परेशानी नहीं आने देते हैं अगर परेशानी आ भी जाए तो उस व्यक्ति को उस संकट से निकलने की शक्ति भी प्रदान करते हैं.
गुरु का अर्थ होता है सही मार्ग दिखाने वाला. गुरु की स्थिति अच्छी होने और शुभ घर में बैठने से व्यक्ति को जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है. ऐसे जातक अपने वरिष्ठ सहयोगियों की सहायता प्राप्त करने वाले होते हैं.
जन्म कुंडली के 11 वें भाव में गुरु की मौजूदगी अच्छा फल प्रदान करने वाली मानी गई है. 11 वां भाग कुंडली का लाभ का भाव माना गया है. इसके साथ ही आय, बड़े भाई, उपलब्धि, मनोकामनाओ की पूर्ति, बहिन, पुत्रवधु और कान का भी भाव माना गया है. गुरु होने पर बड़े भाईयों से अच्छा सहयोग मिलता है. ऐसे लोगों को समाज में बहुत सम्मान मिलता है. जिन लोगों का गुरु इस भाव में होता है उन्हें सरकार और शासन की तरफ से भी लाभ मिलता है. गुरु के साथ अगर अन्य शुभ ग्रह बैठ जाएं तो ये भी अच्छा फल देते हैं. इस भाव में गुरु की स्थिति यानि डिग्री भी बहुत मायने रखती है. इस भाव में गुरु की डिग्री 10 से कम नहीं होनी चाहिए. इससे कम डिग्री पर होने पर गुरु का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है.
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