Janam Kundli: मेष लग्न वाले जातक एक बार जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही मानते हैं
सभी 12 राशियों में मेष राशि को पहली राशि माना गया है. जन्मकुंडली के 12 भाव में प्रथव भाव को लग्न माना जाता है. इस लग्न में जो भी राशि स्थित होती है वहीं व्यक्ति का लग्न माना जाता है. जिन लोगों का जन्म मेष लग्न होता है वे कर्मठ होते हैं.
जन्मकुंडली: व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा. इस प्रश्न का उत्तर व्यक्ति की जन्मकुंडली के लग्न को देखकर बड़ी आसानी से दिया जा सकता है. कई लोग लग्न और राशि में अंतर नहीं कर पाते हैं. जन्मकुंडली के 12 भाव होते हैं. प्रथम भाव को लग्न माना गया है. जन्म के समय जो राशि प्रथम भाव में होती है वह लग्न राशि मानी जाती है. इस लग्न से ही व्यक्ति के आचार विचारों का पता चलता है. आज चर्चा करेंगे मेष लग्न की. जिन लोगों की जन्मकुंडली मेष लग्न की होती है. ऐसे व्यक्ति कठिन परिश्रम से घबराते नहीं है और हर कार्य करने से पहले बहुत सोच विचार कर ही कदम को आगे बढ़ाते हैं.
मेष लग्न के जातकों का स्वाभव
मेष का अर्थ भेड़ का बच्चा होता है. इसे मेढ़ा भी कहा जाता है.भेड़ का बच्चा बहुत ही फुर्तीला होता और उसमें अपार ऊर्जा होती है. ऋषिमुनियों ने इस राशि को पहली राशि इसलिए माना क्योंकि इसका प्रतीक एक बच्चा है. सभी जानते हैं कि बच्चों में छल कपट नहीं होता है और उत्साह, ऊर्जा से भरे हुए होते हैं. उनमें सीखने की ललक रहती है. मेष राशि को क्रूर राशि के तौर पर माना गया है. मेष राशि पूर्व दिशा की स्वामी है तथा पुरुष राशि का फल देती है मेष राशि अग्नि तत्व की राशि है तथा पीठ की ओर से इसका उदय होता है इसलिए इसको पृष्ठोदय राशि कहते है. मेष लग्न का व्यक्ति अंतर्मुखी होता है. इन्हें गुस्सा कम आता है लेकिन जब इनको गुस्सा आता है तो इन्हें शांत करना मुश्किल होता है.
मेष लग्न वाले जातकों की शरीर की बनावटमेष लग्न के जातक की आंखें गोल होती हैं. उसके घुटने कमजोर होते हैं. इस लग्न के जातक को पानी से हमेशा सावधान रहना चाहिए, कभी पानी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. आंख बंद करके किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए. इस लग्न के जातक सैर-सपाटे के शौकिन होते हैं. मेष लग्न वाले जातक हनुमान जी की उपासना जरूर करें.
मेष लग्न वाले कभी हिम्मत नहीं हारते हैंपाराशरी सिद्धांत के अनुसार मेष राशि अश्विनी नक्षत्र के चार चरण, भरणी के चार चरण और कृतिका के प्रथम चरण से बनी है. मेष लग्न के व्यक्ति बहुत ही जिद्दी स्वभाव के होते है,अगर वह कोई काम करने की ठान ले तो उसे करके की रहता है. अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इस लग्न के जातक निरंतर प्रयासरत रहते हैं.ये इतने जिद्दी होते हैं कि हारी बाजी को भी जीतने का ये दम रखते हैं. ऐसे जातकों को सूर्य की उपासना करना चाहिए. क्योंकि जन्मकुंडली में सूर्य जब कमजोर होगा तो ऐसे जातक सही निर्णय नहीं कर पाएंगे. ऐसे लोग बात के भी पक्के होते हैं.
हनुमान जी की पूजा करने से नहीं आती हैं परेशानियांमेष लग्न का स्वामी मंगल, बुद्धि का स्वामी सूर्य और भाग्य का स्वामी गुरु होता है. जो अच्छे फल प्रदान करते हैं. इस लग्न के व्यक्ति को शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सोने या तांबे में मंगलवार को मूंगा, बुद्धि और संतान की प्रगति के लिए रविवार को तांबे या सोने में माणिक्य और भाग्य के लिए गुरुवार को सोने में पुखराज धारण करने से विशेष लाभ मिलता है. मंगलवार का व्रत रखना भी फलदायी साबित होगा.
मेष लग्न वाले होते हैं अच्छे डाक्टर और इंजीनियर
मेष लग्न के जातक अच्छे इंजीनियर बन सकते हैं. वहीं यदि लग्न का नक्षत्र अश्विनी हो तो ऐसे जातक का डाक्टर भी बनते हैं. इस लग्न के लिए शुक्र घातक होता है. सप्तम में तुला और द्वितीय भाव में वृष दोनों के स्वामी शुक्र ही होने की वजह से पूर्ण मारकेश बनता है. इसीलिए इस लग्न वाले के लिए शुक्र प्राणों को हरने वाला बताया गया है.
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