Janam Kundli: तुला लग्न के जातक धन खर्च करने के मामले रहते हैं हमेशा सतर्क
Tula Lagna: तुला जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है तराजू. न्याय करना इसका प्रमुख ध्येय होता है. तुला का मुख्य उद्देश्य संतुलन होता है. यह राशियों के मध्य में है. इसलिए इसका हर तरह के लोगों से परिचय होता है.
जन्म कुंडली : तुला लग्न चित्रा के दो चरण, स्वाती के चार चरण और विशाखा के तीन चरण से मिलकर बना है. यह एक चर राशि है, जिसके कारण तुला जातक सैर-सपाटे के शौकीन होते हैं. तुला का स्वामी शुक्र होता है. तुला और वृष के एक ही स्वामी होने के कारण इन लोगों का आपसी तालमेल अच्छा होता है. काल पुरुष की कुंडली में तुला सप्तम भाव में पड़ती है और यह भाव मित्र, पत्नी, पार्टनर और बॉस के साथ तारतम्य बनाता है.
नहीं करते है अधिक बात
यह वायु तत्व की राशि है और स्वभावतः क्रूर होती है. इसका प्रतिनिधित्व पश्चिम दिशा की ओर होता है. तुला का उदय सिर से होता है, इसलिए इसे शीर्षोदय कहते हैं. तुला वाला व्यक्ति नपी-तुली बात करता है. उसे डींगें मारना पसंद नही होता. इस लग्न का जातक शब्दों के प्राण समझने वाला होता है. यह बातों से मारना अधिक पसंद करता है. इस लग्न वाले संगीत व भाषण गंभीरता से सुनते हैं. इस लग्न का चिन्ह तराजू है. तराजू का अर्थ है संतुलन. इस लग्न वाला जातक अंदर से न्यायाधीश होता है.
सोच समझ कर खर्च करते हैं
तुला लग्न में शनि उच्च का होता है और सूर्य नीच का हो जाता है. इस लग्न वालों के लिए शनि अति शुभ फल देने वाला तथा परम योगकारक ग्रह है. इस लग्न का नियंत्रण कमर और गुर्दे के आसपास होता है. इस लग्न में जन्मे जातक आदर्शवादी होते हैं. यदि शनि अच्छा हो तो इस लग्न का जातक बहुत समझदार होता है. तुला लग्न वाले अपनी बात को बहुत वजन देकर कहते हैं. निराशा की इनकी जिंदगी में कोई जगह नहीं होती. ऐसे जातकों की प्रकृति उदार होती है. इस लग्न के जातकों का धन व्यय के मामले में संतुलन कुछ बिगड़ जाता है.
अच्छे सेल्समैन होते हैं
तुला लग्न के जातक मिलनसार, हंसमुख और अंतःकरण से शुद्ध होते हैं. इनका जनसंपर्क भी अच्छा होता है. हर तरह के लोगों से मित्रता होती है. इनकी बुद्धि प्रखर होती है. संतोषी होते हैं जिससे इनमें आलस्य भी आ जाता हैं. इन्हें कर्मठ मित्र और सहयोगी मिलते हैं. ये अपने सेवकों से बहुत प्रसन्न रहते हैं. मौका पड़ने पर अपने सेवकों के लिए अपने आदर्शों को भी ताक पर रख सकते हैं. तुला लग्न का जातक अपने को दूसरों से अलग दर्शाने का प्रयास करता हैं. दूसरों से प्रेम करना इनका विशेष गुण है. ये पुरानी परंपरा से हटकर नई गढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं.
न्याय करने वाले होते हैं
लग्नेश शुक्र यदि इनकी कुंडली में बलवान हो तो ये आकर्षक भी होते हैं. ये पूर्णतया प्रेममय रहतें हैं। इन्हें शोरगुल कम पसंद होता है. ऐसे जातकों की पत्नी यदि उम्र में बड़ी हो तो तुला जातक अतिभाग्यशाली होता है. समाज में पूज्य लोग इनके अच्छे मित्र होते हैं. इनमें न्यायाधीश, संगीतकार, प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिज्ञ और धर्माचार्य होने के गुण होते हैं. राजनीति या धार्मिक प्रतिष्ठान के मुखिया हों तो काफी सम्मान और अधिकार प्राप्त करते हैं. दूसरों को बिना बोले ही ये प्रभावित कर लेते हैं. दूसरों की मदद में भी इन्हें काफी आनंद आता है.
हीरा धारण करें
तुला लग्न वाले जातक को कर्ज लेना अच्छा नहीं लगता और अगर वह कर्ज लेता भी है तो जब तक कर्ज सिर से उतर नहीं जाता, वह उसी के बारें में सोचता रहता है. ये लोग कठिन कार्य को भी सरलता से करने में माहिर होते हैं. इस लग्न वाले के लिए शुभ रत्न हीरा है. इन्हें आत्मबल मिलता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
सर्दी जल्द घेरती है
इन जातकों का शरीर कफ प्रधान होता है. बदलते मौसम, ठंड और खट्टे से ज्यादा प्रभावित होते हैं. इनका सीना चौड़ा होता है. तुला लग्न वालों में गर्दन से लेकर सिर तक कहीं भी तिल अवश्य होता है.
हनुमान जी का आशीर्वाद लें
तुला लग्न वालों के लिए मंगल शुभ फल नहीं देता. द्वितीय व सप्तम का स्वामी होने के कारण यह मारकेश भी होता है. तुला वालों को मंगलवार का व्रत व हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए व बंदरों को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए. मंगलवार को बंदरों को गुड़-चना खिला सकें तो इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं व मंगल शांत हो जाता है.
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