Pitra Dosh : जब एक साथ कई परेशानियां इंसान को घेर लें तो समझ जाना चाहिए उसकी जन्मकुंडली में कुछ ऐसा है जो उसे लगातार परेशान कर रहा है. जिस प्रकार से कुंडली में कई राजयोग होते हैं उसी प्रकार से कुंडली में कई दोष भी होते हैं. जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में दोष लग जाता है तो इसके परिणाम बहुत ही घातक होते हैं. ऐसा ही एक दोष है पितृदोष. जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है उसका जीवन संकटों से भर जाता है.
पितृ दोष को ऐसे पहचानें
जन्म कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति के सामने रोजगार का संकट बना रहता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं होता है. ऐसे लोग अपना करियर भी बदलते रहते हैं. इनके जीवन में कोई तरक्की नहीं होते हैं. धन की कमी बनी रहती है. शत्रु सक्रिय रहते हैं. ऐसे लोगों के छिपे हुए शत्रु भी अधिक होते हैं. मानसिक तनाव बना रहता है. किसी गंभीर रोग से भी पीड़ित हो सकते हैं. अपंगता भी हो सकती है. हर कार्य में अड़चन बनी ही रहती है. शिक्षा भी पूरी नहीं होती है. अगर इस तरह की समस्याएं बनी हुई हैं तो समझ लेना चाहिए कि जन्म कुंडली में पितृ दोष हो सकता है. इसका गंभीरता से पता लगाकर तुरंत उपाय किया जाना चाहिए.
ऐसे बनता है जन्म कुंडली में पितृ दोष
जन्म कुंडली का 9 वां घर पिता का घर माना गया है. 9 वें भाव को धर्म का भाव भी कहा जाता है. जब व्यक्ति की कुंडली के इस भाव में सूर्य, राहु- केतु विराजमान हो जाए तो व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष की स्थिति बनती है. मान्यता है कि सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट कर देते हैं. इस स्थिति को ही पितृ दोष माना गया है. इस दोष के कारण व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट उठाने पड़ते हैं.
पितृ दोष को लेकर मान्यताएं
9 वें घर को पिता का घर भी कहा जाता है. ये भाव या घर जब किसी खराब ग्रहों से ग्रसित हो जाए तो समझा जाता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं हैं. इस कारण पूर्वज अशुभ फल देने लगते हैं. 9 वां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष बनाता है. इस दोष का निवारण त्रिब्यंकेश्वर में कराना अच्छा माना गया है.
पितृ दोष को दूर करने के उपाय
- प्रति दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
- चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा तथा पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करना.
- संतान को खुश रखें और उसमें संस्कार पैदा करें.
- स्वच्छता अपनाएं.
- झूठ न बोलें, बुराई से बचें.
- भगवान विष्णु की पूजा करें.
मंत्र - 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना चाहिए.
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