Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत पर खास संयोग, इस शुभ मुहूर्त में पूजा से बेटे को मिलेगा लंबी उम्र का वरदान
Jitiya Vrat Shubh Muhurt 2023: संतान प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं.
![Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत पर खास संयोग, इस शुभ मुहूर्त में पूजा से बेटे को मिलेगा लंबी उम्र का वरदान Jitiya vrat date 2023 jivitputrika vrat shubh sanyog muhurt auspicious time Jitiya Vrat 2023: जितिया व्रत पर खास संयोग, इस शुभ मुहूर्त में पूजा से बेटे को मिलेगा लंबी उम्र का वरदान](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/10/03/9e33c6b1a1880ab7afedff98cdcec71c1696302963163343_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Jivitputrika Vrat Date: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत पड़ता है. इस व्रत को जिउतिया या फिर जितिया व्रत भी कहा जाता है. यह त्योहार खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. यह व्रत पुत्रों के लिए किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को विधि विधान से रखने पर पुत्रों को दीर्घायु होने का वरदान मिलता है साथ ही उनका जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है. इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्टूबर को है और इस दिन खास संयोग बनने की वजह से इसका महत्व और बढ़ गया है.
जितिया व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त
6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शरू होगा और दोपहर 12 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगा. वहीं ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 05 बजकर 28 पर खत्म होगा. अष्टमी तिथि का प्रारंभ 6 अक्टूबर, सुबह 6 बजकर 34 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगी. जितिया व्रत करने वाले को 24 घंटे का निर्जला व्रत करना होता है. जितिया का पारण करने का शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर की सुबह 10.32 बजे के बाद है.
जितिया व्रत पर खास संयोग
6 अक्टूबर को शुक्रवार और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इस दिन की महत्ता और बढ़ गई है. शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है. माना जाता है कि इस योग में किए गए सभी पूजा-पाठ और कार्य शुभ फलदायी होते हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत को महिलाओं के सबसे कठिन व्रतो में से एक माना जाता है. इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत करती हैं. इस व्रत को करने से संतान के जीवन में आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं. यह व्रत तीन दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है. दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है.
ये भी पढ़ें
पितृ पक्ष के दौरान सपने में पूर्वजों को देखने का क्या है मतलब? मिलते हैं खास संकेत
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)