Jupiter and Rahu Conjunction: कुंभ राशि में गुरु का गोचर है. पंचांग के अनुसार गुरु वर्तमान समय में वक्री अवस्था में है. गुरु 18 अक्टूबर 2021 को वक्री से मार्गी होंगे. गुरु को ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब गुरु चंद्रमा के साथ होते हैं तो अत्यंत शुभ योग का निर्माण करते हैं. इस योग को गजकेसरी योग के नाम से जाना जाता है. वहीं जब ये राहु के साथ युति बनाते हैं तो अत्यंत अशुभ योग का निर्माण करते हंै, जिसे गुरु चंडाल योग कहा जाता है.
गुरु चंडाल योग
जन्म कुंडली में मौजूद शुभ योग जिस प्रकार से जीवन में शुभ फल प्रदान करते हैं उसी प्रकार से अशुभ योग, जीवन में संकट, बाधा, परेशानी और हानि प्रदान करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु चंडाल योग जब किसी की जन्म कुंडली में बनता है तो व्यक्ति के सुखों में कमी आती है. शिक्षा, जॉब, बिजनेस और संबंधों के मामले में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस योग के कारण मानसिक तनाव की स्थिति भी बनती है.
गुरु चंडाल योग का उपाय
ज्योतिष शास्त्र में गुरु चंडाल योग से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं. इन उपायों को अपना कर इस अशुभ योग से बचा जा सकता है. गुरु चंडाल योग के प्रभाव को कम करने के लिए गुरुजनों का आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए. उनका आदर करना चाहिए. इसके साथ ही बड़े भाई, बॉस, उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति को भी सम्मान प्रदान करना चाहिए. गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करने से भी गुरु चंडाल योग का प्रभाव दूर होता है. राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए -
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
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