Guru Vakri 2021: कुंभ राशि में बीते 20 जून 2021 से गुरु वक्री अवस्था में आ गए है. कुंभ राशि में ही गुरु वक्री हुए हैं. मेष से मीन राशि तक गुरु के वक्री होने का प्रभाव देखने को मिलेगा. पंचांग के अनुसार 14 सितंबर 2021 को गुरु मार्गी होंगे. गुरु को बृहस्पति ग्रह के नाम से भी जाना है. गुरु को देव गुरु बृहस्पति भी कहा जाता है. बृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु माना गया है. गुरु का संबंध इन चीजों से है-
- तीर्थ स्थान
- मंदिर
- शिक्षा
- ज्योतिष
- लेखन
- विवाह
- प्रशासन
- उच्च पद
- राज सम्मान
- आय के स्त्रोत
- जीवन साथी
- संतान
- सामाजिक कार्य
- सरकारी नौकरी
गुरु का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में गुरु को एक अत्यंत प्रभावी ग्रह माना गया है. गुरु जब शुभ होते हैं तो व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है. गुरु को शुभ ग्रह माना गया है. गुरु विपरीत परिस्थितियों में ही अशुभ फल प्रदान करते हैं, अन्यथा ये शुभ फल ही प्रदान करते हैं. कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और दृष्टि से गुरु के फलों में परिवर्तन आ सकता है.
गुरु का प्रभाव (Guru Impact Zodiac)
ज्योतिष शास्त्र में गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी होने का दर्जा प्राप्त है. इसके साथ ही गुरु की सूर्य, चन्द्र और मंगल ग्रह से मित्रता है. बुध और शुक्र से गुरु की शत्रुता मानी गई है. शनि देव के साथ गुरु के संबंध अच्छे हैं. इसके साथ ही गुरु का इन क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव देखा जाता है-
- बैंक
- आयकर
- राजस्व
- प्रशासन
- कानून
- उच्च शिक्षा
- शेयर बाजार
- ज्योतिष
- वेद
- शास्त्र
गुरु अशुभ फल
गुरु ग्रह जब अशुभ फल प्रदान करते हैं तो व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गुरु खराब होने पर गुरु के खराब होने पर रक्त की कमी, पेट संबंधी रोग, वायु विकार, कान, फेफडों से जुड़ी परेशानियां आदि प्रदान करता है.
गुरु का मंत्र (Mantra Of Brihaspati)
गुरु अशुभ होने इन मंत्रों का जाप करना चाहिए, इससे गुरु शांत होते हैं-
- ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: