Jyeshtha Purnima: ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का बड़ा महत्व माना जाता है. धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन का विशेष महत्व है. पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-धर्म करने का विधान है. इस दिन गंगा में स्नान करना पुण्य फलदायी माना जाता है. पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है. इस दिन दान करने से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है. इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 4 जून, रविवार के दिन रखा जाएगा.


ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की पूजन विधि


ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और दान करने का विशेष महत्व है. जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही होती है, उनके लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन श्वेत वस्त्र धारण कर भोलेनाथ की पूजा करने और शिवाभिषेक करने से विवाह में आने वाली हर समस्या दूर हो जाती है. इस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शंकर और विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करनी चाहिए.



लक्ष्मी जी की पूजा करते हुए घी का दीपक जलाएं और इत्र,पुष्प का इस्तेमाल करें. लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को जरूर रखना चाहिए. पूजन के बाद ब्राह्माणों को खीर का भोजन करवा कर और उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए. इस दिन पूरी रात जागकर भगवान की आराधना करनी चाहिए. माना जाता है कि इससे घर में धन-संपत्ति आती है. रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए.


ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व


हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आमतौर पर इस दिन से श्रद्धालु गंगा जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिये निकलते हैं. ज्येष्ठ माह हिन्दू वर्ष का तीसरा महीना होता है. इस माह में भीषण गर्मी रहती है और कई नदी -तालाब सूख जाते हैं. इसलिए इस महीने में जल का महत्व अन्य महीनों की तुलना में बढ़ जाता है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को सफेद कपड़े, चीनी, चावल, दही, चांदी की वस्तु, मोती आदि का दान करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है.


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