Jyotish Vidya: ज्योतिष शास्त्र के द्वारा बीमारियों का पूर्वानुमान लगाया जाता है. डॉक्टर, व्यक्ति के रोगी होने पर उसका इलाज करते हैं, परंतु ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा बीमारियों का पूर्वानुमान लगा कर उनसे बचने के उपाय किये जाते हैं, बीमारी से बचा या उसकी तीव्रता को कम किया जा सकती है. 


देवताओं एवं राक्षसों ने समुद्र मंथन किया उसमें से अमृत, विष अन्य वस्तुएं एवं श्री धनवंतरी जी प्रकट हुए. श्री धन्वंतरि जी संसार के सबसे पहले डॉक्टर थे. उन्होंने आयुर्वेद को प्रतिष्ठित किया. उसी श्रृंखला में चरक हुए. इस प्रकार मनुष्य मात्र के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए बाद में अन्य आयुर्वेदाचार्य हुए इसी कारण प्राचीन काल में अधिसंख्य व्यक्ति स्वस्थ रहते थे. यहां यह उल्लेखनीय है कि यह सभी प्राचीन डॉक्टर, आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष का भी ज्ञान रखते थे. इसी कारण बीमारी का परीक्षण ग्रहों की स्थिति के अनुसार सरलता से करते थे. जैसे जन्मपत्री में जो राशि या ग्रह छठवें, आठवें या बारहवें स्थान में पीड़ित हो या इन स्थानों के स्वामी हो कर पीड़ित हो , तो उनसे संबंधित बीमारी की संभावना रहती है. 


इस संदर्भ में यहां, जन्मपत्री के अनुसार प्रत्येक स्थान और राशि से शरीर के कौन-कौन से अंग प्रभावित होते हैं,इसके विषय में चर्चा करेंगे.


मेष- यह अग्नि तत्व राशि है. यह मस्तिष्क सिर, जीवन शक्ति और पित्त को प्रभावित करती है . इस लग्न वाला व्यक्ति श्रेष्ठ जीवन शक्ति वाला होता है. इनका स्वामी मंगल होता है इसलिए इनको मूंगा धारण करना चाहिए. 


वृष- यह पृथ्वी तत्व राशि है . यह मुख, नेत्र, कंठ नली, आंत तथा वात को प्रभावित करती है. इस लग्न वाला सामान्यतः स्वस्थ रहता है. गले में संक्रमण की शिकायत इन व्यक्तियों को अधिक रहती है, इसके लिए सावधानी बरतें तो उत्तम होगा. 


मिथुन- यह वायु तत्व राशि है. यह कंठ, भुजा, श्वास नली, रक्त नली, श्वास क्रिया तथा कफ को प्रभावित करती है. इस लग्न वाले की जीवन शक्ति सामान्य रहती है. 


कर्क- यह जल तत्व राशि है. यह वक्षस्थल, रक्त संचार और पित्त को प्रभावित करती है. इस राशि लग्न वालों को मोती लाभकारी है जो जीवनदायिनी औषधि का काम करता है.


सिंह- यह अग्नि तत्व राशि है. यह जीवन शक्ति, हृदय, पीठ, मेरुदंड आमाशय आंत और वात को प्रभावित करती है. इस लग्न, राशि वालों में जीवन शक्ति अधिक रहती है. इनके लिए मूंगा जीवन शक्तिदायक और लाभदायक है.


कन्या- जन्मपत्रिका में छठा स्थान बीमारी का स्थान माना जाता है. इस कारण जन्मपत्री का परीक्षण करते समय छठवें स्थान या कन्या राशि का सूक्ष्म और सावधानी से परीक्षण करना चाहिए. यह पृथ्वी तत्व राशि है. यह उदर के बाहरी भाग, हड्डी और कफ को प्रभावित करती है.


तुला- यह वायु तत्व राशि है. यह कम, श्वास क्रिया तथा पित्त को प्रभावित करती है. इस लग्न वालों के स्वास्थ्य के लिए हीरा लाभकारी है. 


वृश्चिक- यह जल तत्व राशि है. यह जननेंद्रिय, गुदा, गुप्तांग, रक्त संचार और वात को प्रभावित करती है. 


धनु- यह अग्नि तत्व राशि है. यह जांघ, नितंब तथा कफ और पाचन क्रिया को प्रभावित करती है. इसके लिए पीला पुखराज लाभकारी है.


मकर- यह पृथ्वी तत्व राशि है. यह जांघ, घुटनों के जोड़ फलित विचार हड्डी, मांस तथा पित्त को प्रभावित करती है, इनके लिए नीलम और हीरा लाभकारी है.


कुंभ- यह वायु तत्व राशि है. यह घुटने, जांघ के जोड़, हड्डियों नसों, हाथ, श्वास क्रिया तथा वात को प्रभावित करती है. 


मीन- यह जल तत्व राशि है. यह पैर, पैर की उंगलियां, नसों, जोड़ों, रक्त संचार, गर्दन के पीछे का भाग तथा कफ को प्रभावित करती है. इनके स्वास्थ्य के लिए पुखराज लाभकारी है. 


ग्रह बिगड़ने पर मिलता है कौन सा कष्ट


अब प्रत्येक ग्रह के पीड़ित रहने पर या कुछ विशेष प्रकार के अंग और रोग का सामना करना पड़ता है. 


सूर्य- हृदय, पेट, पित्त, दायीं आँख, जलना, गिरना, रक्त प्रवाह में बाधा आदि.


चंद्र- शरीर का पानी, श्वेत रक्त कणिकाएं, बायीं आँख, फेफड़े, मानसिक रोग, महिलाओं में हार्मोनल समस्याएं.


मंगल-  सिर, जानवरों द्वारा काटना, वह दुर्घटना जिसमें रक्त बहे, करंट लगना, घाव, उच्च रक्तचाप, गर्भपात एवं मारपीट में घायल इत्यादि. 


बुध- गला, नाक, कान, फेफड़े, हकलाना या तुतलाना एवं बुरे सपने.


गुरु-  लिवर, फैट, मधुमेह, कान इत्यादि . 


शुक्र- यूरिन इंफेक्शन, आंख, आंतें, अपेंडिक्स, मधुमेह, पुरुषों में प्रोस्टेट संबंधित दिक्कतें देता है. 


शनि-  पैर दर्द, नसें की दिक्कत, नासिका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान . 


राहु- इंफेक्शन, फूड प्वाइजन, सर्प दश, कुत्ते का काटने जैसी दिक्कतें राहु देता है. 


केतु-  टाइफाइड, डिप्रेशन, अंग का कट जाना, मानसिक रोग देता है. 


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