Kaal Bhairav Jayanti 2021: काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है. काल  भैरव दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है काल और भैरव. शास्त्रों के अनुसार काल का अर्थ मृत्यु, डर और अंत है. भैरव का मतलब है भय को हरने वाला. काल भैरव की पूजा सभी प्रकार के कष्ट और दुखों का नाश करने वाली मानी गई है. 27 नवंबर को काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम दिन है. क्यों आइए जानते हैं-


काल भैरव जयंती
पंचांग के अनुसार 27 नवंबर 2021, शनिवार को मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी. इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था. 


काल भैरव जयंती का महत्व
मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से हर प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. काल भैरव की पूजा करने से मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है. जटिल से जटिल समस्याएं भी भगवान काल भैरव की पूजा करने से दूर हो जाती हैं. माना जाता है कि काल भैरव जंयती पर काल भैरव की पूजा करने से शत्रु, रोग, भय, भ्रम, और हर प्रकार की परेशानी दूर होती है. 


ग्रहों की अशुभता दूर होती है
काल भैरव की पूजा करने से अशुभ और पाप ग्रहों के कारण होने वाली दिक्कतें भी दूर होती हैं. ऐसा माना जाता है कि काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और मानसिक तनाव दूर होता है.


काल भैरव की पूजा विधि
काल भैरव भगवान की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए. अष्टमी की शाम को भगवान भैरव को अबीर, गुलाल, अक्षत, पुष्प और सिंदूर चढ़ाना चाहिए. नजदीकी भगवान भैरव के मंदिर में चमेली का तेल और सिंदूर अर्पित करने से भी पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन नीले पुष्प चढ़ाना शुभ माना गया है. इस दिन पितरों को याद करना चाहिए और उनके आभार व्यक्त करना चाहिए.


काल भैरव जयंती शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 27 नवम्बर 2021 को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट.
अष्टमी तिथि समाप्त - 28 नवम्बर 2021 को प्रात: 06 बजे.


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