Kabir Das Ke Dohe: कबीर दास के 10 दोहे में छिपा है सुखी जीवन का मंत्र, मित्रों और रिश्तेदारों को भेजे संदेश
Kabir Das Ke Dohe: भारत के प्रसिद्ध कवि संत कबीर दास जी की आज जयंती है. कबीर को दो पंक्ति के दोहे से कई लोगों का जीवन संवर चुका है. उनकी जयंती पर आप अपने दोस्तों को ये शुभकामना संदेश भेज सकते हैं.
Kabir Das Ke Dohe: भारत के प्रसिद्ध कवि संत कबीर दास जी की आज जयंती है. संत कबीरदास के लेखन में बीजक, सखी ग्रंथ, कबीर ग्रंथवाली और अनुराग सागर शामिल हैं. कबीर को दो पंक्ति के दोहे से कई लोगों का जीवन संवर चुका है. उनकी जयंती पर आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को ये शुभकामना संदेश भेज सकते हैं.
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोए
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।
ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग।
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए।
सब धरती काजग करूं, लेखनी सब वनराज
सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।
मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार।
जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिए ज्ञान
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान।
तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।
नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए।
कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।