Kamika Ekadashi Vrat: सभी एकादशियों में कामिका एकादशी का विशेष महत्व है. इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से पूर्वजन्म की बाधाएं दूर होती हैं और हजार गौ दान के समान पुण्य प्राप्त होता है. यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि लाता है. इस बार कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई, गुरुवार के दिन रखा जाएगा.
कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस दिन प्रात:काल स्नान से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अब भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें. उन्हें पीले फल-फूल, तिल, दूध और पंचामृत अर्पित करें. इस दिन भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते हुए भजन-कीर्तन करना चाहिए. कामिका एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है. अगले दिन यानि द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर विदा करें. इसके बाद व्रत का पारण करें.
कामिका एकादशी का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी को जाने-अनजाने में हुए पापों की मुक्ति दिलाने वाली एकादशी कहा जाता है. कामिका एकादशी की पूजा से सभी देवता, गंधर्व और सूर्य की पूजा का फल मिल जाता है. कामिका एकादशी का व्रत करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु का आशिर्वाद मिलता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का अंत होता है.
सावन का महीना भोलेनाथ को प्रिय है. इसलिए इस महीने आने वाली कामिका एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के आराध्य श्री शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य श्री विष्णु हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप के साथ भगवान शिव की पूजा करने से हर बिगड़े काम बन जाते हैं. इस व्रत को करने से उपासकों के साथ-साथ उनके पितरों के कष्ट भी दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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