Kark Sankranti 2022: कर्क संक्रांति पूजा विधि और महत्व के साथ जानें दान का लाभ
Kark Sankranti 2022 Importance: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य किसी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है. कर्क संक्रांति में सूर्य के दक्षिणायन होने से जल की अधिकता बढ़ जाती है.
Kark Sankranti in July 2022, Daan Benefits: सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है. यह बारी-बारी से सभी 12 राशियों में प्रवेश करता है. सूर्य का किसी भी राशि में प्रवेश करने से संक्रांति (Sankranti) बनती है. इस तरह साल में कुल 12 संक्रांति होती है. इनमें से मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) में सूर्य के उत्तरायण होने से सकारात्मक शक्तियां प्रभावशाली होती हैं.
कर्क संक्रांति (Kark Sankranti 2022) में सूर्य के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं. इनके दुष्परिणाम और प्रभाव से बचने के लिए कर्क संक्रांति को विशेष पूजा अर्चना की जाती है. कर्क संक्रांति (Kark Sankranti 2022) के दिन दान का विशेष महत्व होता है.
कर्क संक्रांति 2022 पूजा विधि और महत्व (Kark Sankranti 2022 Puja Vidhi and Importance)
कर्क संक्रांति (Kark Sankranti 2022) को प्रातः काल जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या कुए पर स्नान करें. इसके बाद सूर्य भगवान के मंत्र का जाप करते हुए उनको अर्घ्य दें. इस दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा -आराधना की जाती है. इनके पूजन से सुख शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कर्क संक्रांति (Kark Sankranti) से 4 महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं शुरू किया जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान पुण्य भी किया जाता है.
कर्क संक्रांति 2022 की पूजा कथा (Kark Sankranti Puja Katha)
एक कथा के अनुसार सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु पृथ्वी का कार्यभार संभालते संभालते बहुत थक जाते हैं. तब माता लक्ष्मी भगवान से निवेदन करती हैं कि हे नाथ सृष्टि की चिंता और देखभाल का काम कुछ दिन के लिए भगवान भोलेनाथ को दे दीजिए. इस निर्णय के बाद भोलेनाथ हिमालय से पृथ्वी पर आते हैं और 4 महीने तक संसार की सभी गतिविधियों का संचालन करते हैं. इस चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते हैं. देवउठनी एकादशी (Dewuthani Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु पुनः भूलोक आकर यहां का उत्तरदायित्व संभालते है.
चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य वर्जित होता है तथा पूजा, भगवत भजन आदि कार्य किये जाते हैं. इसीलिए कर्क संक्रांति (Kark Sankranti) में भगवान भोलेनाथ भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा और प्रार्थना की जाती है.
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