Kark Sankranti Upay: 17 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा. इस दिन कर्क संक्रांति पर्व मनाया जाएगा. इस पर्व पर तीर्थ-स्नान और दान के साथ उगते हुए सूरज की पूजा करने की भी परंपरा है. पुराणों में कहा गया है कि ऐसा करने से बीमारियां दूर होती है. साथ ही उम्र और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है. सेहत के नजरिये से भी देखा जाए तो सूर्य को जल चढ़ाना फायदेमंद होता है. क्योंकि सूरज की रोशनी में विटामिन डी होता है. जो हमारे शरीर में सीधे पहुंचता है. 


ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य 17 जुलाई 2023 को सुबह 05:05 मिनट पर चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर करेंगे . सूर्य इस राशि में 17 अगस्त 2023 तक रहेंगे. इसके बाद सूर्य अपनी राशि सिंह में गोचर कर जाएंगे. आषाढ़ महीने में सूर्य उपासना की परंपरा है. इससे आत्मविश्वास बढ़ता है. स्कंद और पद्म पुराण में कहा गया है कि इस महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से पुण्य मिलता है और पाप भी खत्म हो जाते हैं. 



कर्क संक्रांति पर सूर्य को चढ़ाएं जल


वेदों में सूर्य को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. इसलिए सूर्य उपासना से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. ज्योतिष के अनुसार कर्क संक्रांति को छह महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन ही दक्षिणायन की शुरुआत होती है. सूर्य की यह स्थिति मकर संक्रांति तक रहती है. शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की कर्क संक्रांति के दिन उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.  


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सेहत के नजरिये से भी महत्वपूर्ण सूर्य को जल चढ़ाना सेहत के लिए भी फायदेमंद है. उगते हुए सूर्य को चल चढ़ाने से शरीर को विटामिन डी की भरपूर मात्रा में मिलता है. सूर्य की किरणें शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को दूर कर निरोगी बनाने का काम करती हैं. इससे शरीर स्वस्थ रहता है. इंसान का शरीर पंच तत्वों से बना होता है. इनमें एक तत्व अग्नि भी है. सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है. इसलिए सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पर पड़ती हैं. 


शरीर के ऊर्जा चक्र को सक्रिय करने में मददगार ज्योतिष ग्रंथों में भी सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव के दर्शन से मन प्रसन्न होता है. इससे सकारात्मक रहने और अच्छे काम करने की प्रेरणा मिलती है. सूर्य पूजा से शरीर में स्फूर्ति भी आती है. उगते हुए सूर्य की किरणें हमारी आंखों के लिए अच्छी होती है. ये हमारे शरीर के ऊर्जा चक्र को सक्रिय करने में भी मदद करती हैं.


संक्रांति पर सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है. उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है. इसलिए आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है. आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से सम्मान मिलता है. 


सफलता और तरक्की के लिए भी सूर्यदेव को जल चढ़ाया जाता है. दुश्मनों पर जीत के लिए भी सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार युद्ध के लिए लंका जाने से पहले भगवान श्रीराम ने भी सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की थी. इससे उन्हें रावण पर जीत हासिल करने में मदद मिली.


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