Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा इस साल 15 नवंबर को है. कार्तिक मास को सभी महीनों में बेहद शुभ व फलदायी माना गया है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से इस पूरे महीने के गए पूजा-पाठ के बराबर फल मिलता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली (Dev Diwali 2024) के नाम से जाना जाता है.
त्रिपुरारी पूर्णिमा (Tripurari Purnima 2024)
कार्तिक मास में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इसे भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है. प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब मत्स्य अवतार के रूप में भगवान ने पूरे संसार की रक्षा की थी. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस तिथि पर शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के दैत्य का वध किया था, इस वजह से इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली (Dev Diwali) के रूप में भी मनाया जाता है. इस कारण इसे देव दीपावली कहते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने की परंपरा है. साथ ही हवन, दान, जप, तप आदि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था. साथ ही इस दिन उपछाया चंद्रग्रहण भी लग रहा है. जो इस दिन महत्व को और अधिक बढ़ाता है. कार्तिक मास की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा पर इस माह के स्नान समाप्त हो जाएंगे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, हवन और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
सत्यनारायण की कथा और दान
इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़नी और सुननी चाहिए. जरूरतमंद लोगों को फल, अनाज, दाल, चावल, गरम वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा पर अगर नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर ही सुबह जल्दी उठें और पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करते समय सभी तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए. सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. जल तांबे के लोटे से चढ़ाएं.
अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए. किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. कर्पूर जलाकर आरती करें. शिव जी के साथ ही गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की भी विशेष पूजा करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.
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