भारतीय हिन्दू संस्कृति में विवाह को सोलह संस्कारों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. ग्रहस्थ जीवन को समाज की रीढ़ कहा गया है. इसकी शुरुआत विवाह उपरांत ही होती है. वर्ष 2021 में विवाह मुहूर्ताें की शुरुआत 25 अप्रैल से हो रही है. यह स्थिति 19 जुलाई 2021 तक बनी रहेगी. इसके उपरांत देवता शयन पर चले जाएंगे. पुनः देवात्थान एकादशी के बाद विवाह मुहूर्त बन पाएंगे. देव प्रबोधिनी एकादशी 15 नवंबर को है. नवंबर दिसंबर में विवाह मुहूर्त रहेंगे.


अभी खरमास चल रहा है. 14 अप्रैल 2021 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ खरमास समाप्त होगा. खरमास में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. इन विवाह मुहूर्ताें में मेष सिंह और धनु राशि के लिए विवाह मुहूर्त वर्जित रहेंगे. इसका कारण है कि देवगुरु बृहस्पति इन राशियों से क्रमशः बारहवें, आठवें और चौथे स्थान में संचरण करेंगे.


अप्रैल में 25, 26, 27 और 30 तारीखों मे कुल 10 विवाह लग्न मुहूर्त होंगे. इनमें इन सभी में गुरु का दान अनिवार्य होगा. मई में 2 से 30 मई के बीच 11 तिथियों में विवाह मुहूर्त की संरचना होगी.


14 मई को है अक्षय तृतीया, रहेगा अबूझ मुहूर्त
14 मई को अक्षय तृतीया है. अक्षय तृतीया को किए गए किसी भी कार्य का क्षय नहीं होता है. इस दिन अबूझ मुहूर्त माना जाता है. भारत में अक्षय तृतीया पर विवाह की बड़ी महत्ता है. बड़े वैवाहिक सम्मेलन भी इसी तिथि में होते हैं.