23 सितंबर को केतु धनु से वृश्चिक राशि में गोचर करेगा.  केतु के इस गोचर का असर सभी राशियों पर पड़ेगा. यह प्रभाव शुभ-अशुभ रूप में हो सकता है.


ज्योतिष में ग्रहों का मनुष्य के जीवन पर बहुत गहरा असर माना गया है. केतु को ज्योतिष में एक छाया ग्रह माना गया है. केतु ग्रह को वैदिक ज्योतिष में एक अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केतु हमेशा जातक को बुरे ही फल देता है. ज्योतिषियों की माने तो केतु ग्रह से जातक को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं.


केतु को रहस्यमयी कांति कथा गौरवशाली ज्योति किरण कहा गया है.  किसी भी जातक की जन्मकुंडली में केतु जिस भाव में रहते हैं उस ग्रह के स्वामी के अनुसार फल देते हैं अथवा जिस ग्रह के साथ रहते हैं उस ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करते हैं. यदि ग्रह शुभ हैं तो शुभता में और ग्रह अशुभ है तो अशुभता में वृद्धि करेंगे. छाया ग्रहों का यही प्रभाव रहता है.


हम आपको बताते हैं कि केतु का जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है.


प्रथम भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली में केतु प्रथम भाव अर्थात लग्न में रहते हैं उनके चेहरे पर अलग तरह की आभा रहती है. यह भी हो सकता है कि चेहरे पर किसी तरह का निशान भी हो. ऐसे लोग मुश्किल हालात के बावजूद सफल होते हैं.


द्वितीय भाव में केतु
जन्मकुंडली में यदि केतु लग्न से दूसरे भाव में है तो ऐसा व्यक्ति गूढ़ विद्याओं का जानकार होता है. हालांकि उसे धन के अभाव में मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है. हालांकि अचानक धन प्राप्ति की भी योग बनता हैं. ऐसे लोगों को आंख, कान अथवा गले संबंधी रोग भी हो सकता है.


तृतीय भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली में केतु लग्न कुंडली से तीसरे पराक्रम भाव में रहते हैं तो यह बहुत शुभ माने जाते हैं. हमेशा उनके साहस एवं ऊर्जा की वृद्धि करेंगे और फैसला लेने की शीघ्र क्षमता विकसित करेंगे. भाइयों से मतभेद हो सकता है.


चतुर्थ भाव में केतु
जिनकी जन्मकुंडली में केतु चतुर्थ भाव में बैठे हों उसे मानसिक अशांति मिलती है. माता-पिता से भी दूर हो सकती है. लेकिन अपने कुशल नेतृत्व और गुरु ज्ञान के बल पर ऐसे लोग समाज में पद प्रतिष्ठा भी हासिल करते हैं.


पंचम भाव में केतु
जन्मकुंडली में केतु के पंचम भाव में स्थित होने पर लोगों में जबरदस्त क्रिएटिव पावर रहती है. ऐसा शख्स अपनी समस्याएं खुद सुलझाने में विश्वास रखता है. ऐसे लोग शिक्षा प्रतियोगिता में आगे रहते हैं.


छठे भाव में केतु
जिन लोगों की जन्मकुंडली में केतु छठे भाव में बैठे हों तो ऐसे लोग कामयाबियों के चरम तक पहुंचते हैं. हालांकि अपनी जिद और आवेश के कारण कई बार बड़ा नुकसान भी कर लेते हैं. ऐसे लोगों को अधिक कर्ज के लेन-देन से बचना चाहिए.


सातवें भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली में केतु सातवें भाव में बैठे हों ऐसे लोगों को शादीशुदा जीवन मुश्किलों में गुजरता है. ऐसे लोगों में आत्म संयम की भी कमी रहती है. ऐसे लोगों को किसी अनुबंध हस्ताक्षर करते समय भी नियम एवं शर्तों को बारीकी से पढ़ना चाहिए.


आठवें भाव में केतु
जिनकी जन्मकुंडली में केतु आठवे भाव में विराजमान होता है ऐसे लोगों के जीवन में संघर्ष बहुत रहता है. ऐसे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सावधान रहने की जरूरत है.


नवम भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली में केतु नवम भाव में स्थित होतो उन्हें ईश्वर के दर्शन करने की संभावना होती है. ऐसे लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं. मुश्किल हालात पर विजय हासिल कर सकते हैं लेकिन इनका ध्यान भौतिकवाद से अध्यात्मवाद की और बढ़ता है.


दशम भाव में केतु
जिनकी जन्मकुंडली में केतु दशम भाव में स्थित हों ऐसा व्यक्ति हर कार्य करने में माहिर होता है. ऐसे लोगों के नेतृत्व क्षमता होती है लेकिन पूर्व में किए गए कुछ गलत कर्मों का फल उनका पीछा करते हैं.


ग्यारहवें भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली में केतु ग्यारहवें लाभ भाव में होते हैं तो ऐसे लोगों का मन वैराग्य की तरफ जाता है. हालांकि ऐसे लोग बिजनसे में बड़ी तरक्की करते हैं. भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों से मतभेद की संभावना रहती है.


बारहवें भाव में केतु
जिनकी जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु होता है तो ऐसे लोगों का मन भी आध्यात्मिक बातों में ही रमता है. आध्यात्मिक रूप से ये लोग सर्वोच्च शिखर तक पहुंचते हैं.


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