भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों को गिना गया है. यह नौ ग्रह हैं- सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन ग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है. मान्यता है कि ग्रहों की बदलती चाल ही हमारे जीवन में उतार चढ़ाव लाती है. ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है. वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक क्रुर ग्रह माना जाता है. हिंदू वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहा गया है. ज्योतिष में राहु काल को अशुभ माना जाता है.
कब होता है राहु काल
राहु काल स्थान और तिथि के अनुसार अलग-अलग होता है अर्थात प्रत्येक वार को अलग समय में शुरू होता है. यह काल कभी सुबह, कभी दोपहर तो कभी शाम के समय आता है, लेकिन सूर्यास्त से पूर्व ही पड़ता है
सप्ताह में किस-किस दिन राहुकाल लगता है
- रविवार : सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
- सोमवार : प्रात:काल 7:30 से 9:00 बजे तक
- मंगलवार : अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक
- बुधवार : दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
- गुरुवार : दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक
- शुक्रवार : प्रात:10:30 से दोपहर 12:00 तक
- शनिवार : प्रात: 9:00 से 10:30 बजे तक
राहु काल में ये काम नहीं करने चाहिए
- यज्ञ, पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए. राहु काल में यह फलित नहीं होते हैं.
- कोई नया व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहिए, बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए
- खरीद और बिक्री से बचना चाहिए. ऐसा करने से हानि हो सकती है.
- राहु काल में यात्रा नहीं करनी चाहिए. यदि राहु काल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें. घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकल जाएं.
- विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. यदि कोई मंगलकार्य या करना जरूरी हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर करें.
राहु काल में कर सकते हैं ये कार्य
- राहु ग्रह की शांति के लिए या दोष दूर करने हेतु कर्मकांड मंत्र पाठ आदि किए जा सकते हैं.
- कालसर्प दोष की शांति के उपाय किए जा सकते हैं.
- राहु का यंत्र धारण या राहु यंत्र दर्शन कार्य भी किए जा सकते हैं.
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