Janmashtami 2022 Date: भगवान श्री कृष्ण ने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था. हर साल भादो मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 18 और 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन पूरे धूमधाम से कान्हा की पालकी सजाई जाती है और उनका श्रृंगार किया जाता है. कृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था लेकिन उनका लालन-पालन यशोदा मां ने किया था. आइए जानते हैं कि आखिर भगवान कृष्ण का नामकरण (Krishna Naamkaran) किसने किया था.


कुलगुरु ऋषि गर्ग ने किया था कृष्ण का नामकरण


ऋषि गर्ग यदुवंश के कुलगुरु थे. श्रीमदभागवत पुराण के वर्णन अनुसार उन्होंने ने ही कृष्ण भगवान का नामकरण किया था. एक बार ऋषि गर्ग गोकुल में पधारे जहां नंदबाबा और यशोदा मां ने उनका खूब आदर सत्कार किया. ऋषि गर्ग ने बताया कि वो पास के गांव में एक बालक का नामकरण करने आएं हैं और रास्ते में मिलने के लिए इधर आ गए. यह सुनकर यशोदा मां ने उनसे अपने बालक का भी नाममकरण करने का अनुरोध किया. कहा जाता है कि नामकरण से पहले बाल-गोपाल की मनमोहक छवि को देखकर ऋषि गर्ग अपनी सुधबुध खो बैठे थे.


ऐसे हुआ कृष्ण का नामकरण


पहली नजर में ही ऋषि गर्ग को पता लग गया था कि यह कोई साधारण बालक नहीं है. उन्होंने यशोदा मां से कहा कि आपका बालक अपने कर्मों के अनुसार कई नामों से जाना जाएगा. वो समझ गए थे कि बाल-गोपाल के रूप में साक्षात ईश्वर ने जन्म लिया है लेकिन उन्होंने यह भेद सबके सामने नहीं खोला. ऋषि गर्ग ने कहा कि यह बालक अब तक कई अवतार ले चुका है और इस बार इसका जन्म काले रूप में हुआ है इसलिए इसका नाम कृष्ण होगा. मां यशोदा को यह नाम पसंद नहीं आया और उन्होंने ऋषि से कोई और नाम रखने को कहा. तब ऋषि ने कहा कि आप इन्हें कन्हैया, कान्हा, किशन या किसना कहकर भी बुला सकते हैं. तभी से कृष्ण को इन नामों से जाना जाने लगा.


 


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