Krishna Janmashtami 2023: राधा कैसे हो गईं थी कृष्ण की दिवानी, जानें उनके अमर प्रेम की ये कहानी
Janmashtami 2023: राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम अमर है. राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम की कई कहानियां हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जानिए कृष्ण और राधा की ऐसी ही अनसुनी प्रेम कहानी के बारे में.
Radha Krishna Love Story: आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कहानियां हर किसी को भाती हैं लेकिन उनकी प्रेम लीला के प्रसंग भी खूब हैं. जब भी किसी प्रेम कहानी की बात होती है तो सबसे पहले राधा-कृष्ण का ही नाम आता है. राधा और कृष्ण का प्रेम दिव्य, नि:स्वार्थ और आत्मिक था. राधा-कृष्ण के प्रेम के संबंध कई पौराणिक कहानियां हैं. जन्माष्टमी के इस अवसर पर जानते हैं राधा-कृष्ण की कुछ अनसुनी प्रेम कहानी के बारे में.
ऐसे हुई राधा-कृष्ण की पहली मुलाकात
पौराणिक कथाओं के अनुसार उम्र में राधा श्रीकृष्ण से लगभग पांच साल बड़ी थीं. एक कहानी के अनुसार राधा ने श्रीकृष्ण को पहली बार तब देखा था जब मां यशोदा ने कृष्ण को ओखल से बांध कर रखा था. कहा जाता है कि कृष्ण को पहली बार देखते ही राधा बेसुध सी हो गई थीं. कृष्ण को देखते ही राधा को उनसे प्रेम हो गया था. राधा को ऐसा आभास हुआ जैसे कि कृष्ण के साथ उनका कोई पूर्व जन्म का रिश्ता हो.
वहीं कुछ विद्वानों के अनुसार राधा ने पहली बार श्रीकृष्ण को तब देखा था जब वो अपने पिता के साथ गोकुल आई थीं. जिस जगह पर पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी उसे संकेत तीर्थ के नाम से जाना जाता है. यहां पर कृष्ण को देखते ही राधा अपनी सुधबुध खो बैठी थीं. यही हाल कृष्ण का भी था. वो भी राधा को देखकर बावरे हो गए थे. दोनों को पहली नजर में ही प्रेम हो गया था.
श्री कृष्ण की प्रिय चीजें
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को 2 चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं, एक बांसुरी और दूसरी राधा रानी. राधा कहीं भी हों वो कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर बरबस खिंची चली आती थीं. जब कृष्ण राधा को छोड़कर मथुरा जाने लगे थे तो उन्होंने राअपनी सबसे प्रिय मुरली राधा को भेंट में दी थी. राधा ने भी इस मुरली को कई वर्षों तक संभालकर रखा था. जब भी उन्हें श्रीकृष्ण की याद आती तो वह इस मुरली को बजाकर अपना दिल बहला लेती थीं.
वहीं श्रीकृष्ण भी राधा की याद में मोरपंख लगाते थे और वैजयंती माला पहनते थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण को मोरपंख तब मिला था जब वो एक बार राधा के साथ उपवन में नृत्य कर रहे थे. उन्होंने इस मोर के पंख को उठाकर अपने सिर पर धारण कर लिया और राधा ने नृत्य करने से पहले श्रीकृष्ण को वैजयंती माला पहनाई. इन कहानियों से पता चलता है कि भगवान कृष्ण के बिना राधा अधूरी थीं और राधा के बिना कृष्ण अधूरे माने जाते हैं.
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