Kumbh Sankranti 2023: कब है कुंभ संक्रांति? जानें-तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Kumbh Sankranti 2023 Date: सूर्य देव जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं और जिस राशि में सूर्य ग्रह प्रवेश करते हैं उसी राशि की संक्रांति होती है.
Kumbh Sankranti 2023 Shubh Muhurt: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह के राशि प्रवेश को संक्रांति कहते हैं. ये हर महीने राशि बदलते हैं. इससे हर महीने कोई न कोई संक्रांति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव जब एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं और जिस राशि में सूर्य ग्रह प्रवेश करते हैं उसी राशि की संक्रांति होती है.
कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2023)
पंचांग के अनुसार 13 फरवरी 2023 दिन सोमवार को सूर्य ग्रह मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए इसे कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2023) के नाम से जाना जाएगा. संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और प्रातः काल स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान कर पूजा, जप तप करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है.
कुंभ संक्रांति 2023 पुण्य काल मुहूर्त
- कुंभ संक्रान्ति 2023 फलम् : कुंभ संक्रान्ति सोमवार, फरवरी 13, 2023 को
- कुंभ संक्रान्ति पुण्य काल : 07 : 02 AM से 09 : 57 AM
- कुंभ संक्रान्ति पुण्य काल अवधि : 02 घण्टे 55 मिनट
- कुंभ संक्रान्ति महा पुण्य काल : 08 : 05 AM से 09:57 AM
- कुंभ संक्रान्ति महा पुण्य काल अवधि : 01 घण्टा 51 मिनट
- कुंभ संक्रान्ति का क्षण : 09 : 57 AM
कुंभ संक्रांति को कैसे करें पूजा?
कुंभ संक्रांति यानी 13 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि से निवृत होकर पूजा संकल्प लें. इसके बाद खुद को शुद्ध कर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण जरूर करें.
- सूर्य मंत्र: एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
- गायत्री मंत्र: ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।"
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