Kundali Astrology: सभी नौ ग्रहों में गुरु यानी बृहस्पति ग्रह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. बृहस्पति को सभी देवी देवताओं का गुरु कहा जाता है. गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में सुख-दुख और उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है. वहीं जिन जातकों की कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है.
कुंडली में 12 भाव होते हैं जिससे व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में पता लगाया जाता है. इसी तरह गुरु कुंडली में गुरु भी 12 भाव में अलग-अलग प्रभाव देते हैं. आइए जानते हैं कुंडली में मौजूद गुरु के किस भाव में भाग्यशाली और धनवान का फल देते हैं.
कुंडली में गुरु का प्रभाव (Jupiter in Kundali)
कुंडली के पहले भाव में गुरु ग्रह हों तो व्यक्ति काफी विद्धान और धार्मिक होता है. ऐसा व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है और धनवान भी होता है. पहले भाव में गुरु के होने पर व्यक्ति को उच्च पद प्राप्त होता है. ऐसा व्यक्ति काफी गुणवान होता है. वहीं कुंडली के दूसरे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति में बुद्धि का विकास होता है. काव्य और साहित्य में उसकी रुचि बढ़ने लगती है.
गुरु के दूसरे भाव में होने पर व्यक्ति वाणी और धन से काफी अच्छा होता है. इसके मित्रों की संख्या में वृद्धि होती है. हालांकि उसमें अहम की भी भावना बढ़ने लगती है. कुंडली के तीसरे भाव में अगर गुरु ग्रह विराजमान हैं तो व्यक्ति के अंदर समझदारी बढ़ जाती है और उसी के हिसाब से वह अच्छा या बुरा कार्य करता है. ऐसे व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे लोगों का धर्म कर्म के कार्यों में मन लगता है.
कुंडली के चौथे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति राजाओं जैसा सुख प्राप्त करता है और दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता है. ऐसा व्यक्ति धनवान, यशस्वी, बली, सुखी और वाहन आदि से युक्त होता है. ऐसा व्यक्ति पिता का नाम रोशन करता है. ऐसे लोग काफी मेधावी होते हैं और काफी संपत्ति भी अर्जित करते हैं.
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