Where Soul Lives After Death: जैसे ही आत्मा शरीर छोड़ती है, शरीर को मृत घोषित कर दिया जाता है. तो मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा कहां जाती है? फिर आत्मा सीधे अपने नए गंतव्य पर जाती है जहां पुनर्जन्म होता है. हालांकि, पुनर्जन्म में किसी के विश्वास का समर्थन तभी किया जाता है जब कोई यह मानता है कि आत्मा मौजूद है. हालांकि अज्ञानता के कारण, हर जन्म में, आत्मा के पास शरीर के परिसर के साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.
ज्योतिषशास्त्र की मानें तो कोई भी मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर ही मृत्यु के बाद उन्हें कोई अलग लोक निर्धारित किया जाएगा. व्यक्ति के वर्तमान जीवन के कर्म उसके मृत्यु के बाद योनि और लोक निर्धारित करते हैं. लेकिन वर्तमान में ही आप अपनी कुंडली के अंध्याम से जान सकते हैं कि मृत्यु के बाद आप किस लोक और किस योनि में प्रस्थान करेंगे. कुछ खास ज्योतिषीय योग हैं जिससे यह जानकारी मिलती है कि व्यक्ति मृत्यु के बाद किस लोक में स्थान प्राप्त करेगा. आइए जानते हैं विस्तार से.
व्यक्ति मृत्यु के बाद किस लोक में स्थान प्राप्त करेगा
स्वर्ग की प्राप्ति
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली के बारहवें घर में शुभ ग्रह हों तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. यदि कुंडली में सहतम भाव में चंद्रमा, गुरू और शुक्र स्थित हैं तो इसका तात्पर्य है कि मृत्यु के पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होगी. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं है तो उसे मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में देवपद भी प्राप्त होता है.
मोक्ष की प्राप्ति
बृहत पाराशर होरा शास्त्र में उल्लेख मिलता है कि जिस मनुष्य की कुंडली के द्वादश भाव में शुभ ग्रह बैठें हों और साथ ही द्वादश भाव का स्वामी अपनी राशि अथवा मित्र राशि में हों तो ऐसा व्यक्ति अपने सद्कर्मों से मोक्ष प्राप्त करता है. यदि कुण्डली में सभी ग्रह कमज़ोर हों केवल गुरू कर्क राशि में छठे, आठवें, प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम में तो ऐसा व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी होता है.
नरक की प्राप्ति
बृहत पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु अष्टम भाव में कमजोर स्थिति में हो और षष्टम या अष्टम भाव का स्वामी राहु पर दृष्टि बनाकर रख रहा तो इसका अर्थ है कि ऐसे मनुष्य को नरक की प्राप्ति होती है. बृहत पाराशर होरा शास्त्र की मानें तो जिनकी कुण्डली में पाप ग्रह द्वादश भाव में हो या द्वादश भाव का स्वामी सूर्य के साथ हो वह मृत्यु के बाद नरकगामी होता है.
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