Krishnamurti Paddhati: 21वीं सदी और कंप्यूटर युग का ज्योतिषीय आंकलन है कृष्णमूर्ति पद्धति, हर पहलू का सटीकता से होता है फलकथन
Krishnamurti Paddhati: कृष्णमूर्ति पद्धति को सटीक और सूक्ष्म फलादेश की विधा कहा जाता है. यह ज्योतिष शास्त्र की ही ऐसी पद्धति है जिसमें जीवन और भविष्य की सटीक भविष्यवाणी की जाती है.
Krishnamurti Paddhati Astrology: बदलते दौर में पल-पल चीजें विकसित हो रही है. आज हर क्षेत्र में नवीकरण (Innovation) से जुड़ी बातें सुनने और जानने को मिलती है. यह बात ज्योतिष क्षेत्र में भी लागू होती है.
ज्योतिष में भी ग्रह, नक्षत्र, नाड़ी, भृगु संहिता, लाल किताब और कृषममूर्ति पद्धति का जिक्र मिलता है, जिसके आधार पर ही किसी चीज का फलकथन किया जाता है. हालांकि आम इंसान इनसब चीजों को आसानी से समझ नहीं पाता और इसके लाभ से वंचित रह जाता है. लेकिन कृष्णमूर्ति पद्धति को ज्योतिष शास्त्र की सबसे सटीक पद्धति माना गया है.
क्या है कृष्णमूर्ति पद्धति
जिस तरह हर क्षेत्र की अलग-अलग शाखाएं होती हैं, ठीक उसी प्रकार से ज्योतिष में भी अनेक शाखाएं हैं. उदहारणस्वरूप, जैसे कि मेडिकल साइंस में एलोपेथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद आदि जैसी कई शाखाएं हैं. इंजीनियरिंग में भी मैकेनिकल, कंप्यूटर साइंस, सिविल, इलेक्ट्रिकल, सॉफ्टवेयर आदि जैसी अन्य कई शाखाएं हैं. ठीक इसी तरह से ज्योतिष में भी नाड़ी, लाल किताब, जैमिनी और कृष्णमूर्ति पद्धति है. ये सभी ज्योतिष शास्त्र की ही शाखाएं हैं.
नए जमाने की ज्योतिष पद्धति है कृष्णमूर्ति पद्धति
कृष्णमूर्ति पद्धति को संक्षेप में ‘केपी’ भी कहा जाता है. इसके आविष्कार का श्रेय दक्षिण भारत के के.एस. कृष्णमूर्ति (KS Krishnamurti) को जाता है. के.एस. कृष्णमूर्ति ने केवल पारंपरिक ही नहीं बल्कि विदेशी और अनेक ज्योतिष शाखाओं का भी अध्ययन कर यह पाया कि वे भ्रमित करने वाली और समझने में बहुत मुश्किल वाली पद्धति हैं. लेकिन कृष्णमूर्ति पद्धति से सटीक फलकथन को प्राप्त किया जा सकता है. इससे पद्धति से हरेक घटना का सही आकलन कर सटीक भविष्यवाणी की जाती है. उदाहरण के लिए कोई घटना कब और कितने बजकर कितने सेकंड में होगी, गुम हुई कई वस्तु आपको कब मिलेगी आदि. इसलिए इसे नए दौर की कंप्यूटर जमाने की ज्योतिषी पद्धि कहना गलत नहीं होगा, जो व्यक्ति के जीवन के बड़े से लेकर छोटे-छोटे पहलुओं का भी सटीकता से फलकथन कर सकती है.
पारंपरिक ज्योतिष पद्धति से कैसे भिन्न है कृष्णमूर्ति पद्धति
कृष्णमूर्ति पद्धति या केपी ज्योतिष शास्त्र की ही शाखा है, लेकिन यह पारंपरिक ज्योतिष पद्धति से भी कुछ मामलों में भिन्न है. क्योंकि पारंपरित ज्योतिष में 12 राशियों और 27 नक्षत्र की बात की गई है. लेकिन कृष्णमूर्ति पद्धति में सभी नक्षत्रों को नौ भागों में विभाजित कर इसके उपनक्षत्रों के बारे में बताया गया है. इस तरह से केपी के अनुसार 27 नक्षत्र और 249 उपनक्षत्र होते हैं.
पारपंरिक ज्योतिष में ग्रह और राशि पर अधिक और नक्षत्रों का सीमित प्रयोग किया जाता है. लेकिन केपी में नक्षत्रों के प्रयोग पर विशेष जोर दिया जाता है. इसके द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणी का मुख्य आधार यह होता है कि कोई ग्रह न सिर्फ अपना फल देता है, बल्कि अपने नक्षत्र-स्वामी का भी फल देता है. इस विधि के कारण ही इस पद्धति में सिर्फ दिन ही नहीं बल्कि घंटे, मिनट और यहां तक कि सेकंड का भी सूक्ष्मता से फलकथन किया जाता है. इसलिए केपी में की गई भविष्यवाणियां सटीक होती है.
कृष्णमूर्ति ज्योतिषी पद्धति की मुख्य बातें
- पारंपरिक ज्योतिषी में विशोंत्तरी, अष्टोत्तरी और योगिनी जैसी कई दशाओं का प्रयोग किया जाता है. लेकिन कृष्णमूर्ति पद्धति में केवल विशोंत्तरी दशा को महत्व दिया जाता है. केवल एक दशा होने के कारण ज्योतिषी में इसका प्रयोग करना आसान हो जाता है.
- पारंपरिक ज्योतिष की तरह केपी अष्टकवर्ग, योग, कालसर्प, साढ़ेसाती, मंगल दोष आदि जैसे सिद्धांतों को मान्यता नहीं देती है.
- यदि किसी व्यक्ति को अपने जन्म की तिथि या जन्म का समय याद नहीं है, तो कृष्णमूर्ति पद्धति से न केवल उसका जन्म समय निकाला जा सकत है, बल्कि व्यक्ति के जीवन के छोटे-से-छोटे पहलुओं से जुड़े प्रश्नों का उत्तर भी सटीकता से दिया जा सकता है.
- कृष्णमूर्ति पद्धति में हजारों योगों का भी प्रयोग नहीं किया जाता है. इससिए ज्योतिषी को लाखों-करोडों श्लोक को याद रखने की जरूरत नहीं है. केवल मुख्य नियमों को याद रखने की जरूरत है. इसीलिए केपी 21वीं सदी का कंप्यूटर ज्योतिष और ज्योतिषियों के मस्तिष्क के लिए बनाई गई पद्धति कहलाती है.
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