Lunar Eclipse June 2020: 5 जून 2020 की तारीख अद्भुत खगोलीय घटना के रूप में जुड़ गई. रात 11 बजकर 15 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगा. इसे भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा गया. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण करीब सवा तीन घंटे तक रहा. इसका समापन 6 जून यानी शनिवार को 2 बजकर 34 मिनट पर हुआ. इससे पहले 10 जनवरी को साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण देखा गया था. आपको बता दें कि पूरे साल कुल छह ग्रहण लगनेवाले हैं.


21 जून को लगनेवाला पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा. जिसे भारत में नहीं देखा जा सकता. 5 जून को लगनेवाले चंद्र ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा गया. उप छाया चंद्र ग्रहण को आंखों से नहीं देखा जा सकता. उप छाया ग्रहण लगने की सूरत में चांद पर सिर्फ हल्की परछाई नजर आती है.


भारत समेत कई महादेश में देखा गया चंद्र ग्रहण


चंद्रमा जब पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना बाहर निकल आता है तब इस घटना को उपछाया ग्रहण कहा जाता है. चंद्र ग्रहण तीन तरह का होता है जिसे आंशिक, कुल और उपछाया कहा जाता है. 5 जुलाई को लगनेवाला चंद्र ग्रहण भी उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. माना जाता है कि ग्रहण को नंगी आखों से नहीं देखा जाना चाहिए. ये बात तो सूर्य ग्रहण के साथ ठीक हो सकती है मगर चंद्र ग्रहण के साथ नहीं. आंखों से सूर्य ग्रहण देखना रोशनी को प्रभावित करने का कारण बन सकता है.


खगोलीय घटना के साथ ग्रहण का है धार्मिक महत्व


अंतरिक्ष में ग्रहण जहां अद्भुत खगोलीय घटना होती है वहीं धार्मिक मान्यताओं में भी इसके बारे में चर्चा मिलती है. कहा जाता है कि चंद्रमा के पीड़ित होने से चांद पर ग्रहण लगता है. इससे कई तरह की नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है. इसके दुष्प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए. ग्रहण के समय भोजन नहीं करने की सलाह दी जाती है. माना जाता है कि ग्रहण के समय की किरणें खाने को दूषित कर देती हैं. जिससे शरीर में पेट, कान और दांत संबंधी रोग हो सकता है.


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