Sharad Purnima 2024: 16 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा की तिथि है. सनातन परंपरा के अनुसार इस दिन चंद्रमा अपने 16 कलाओं में पूर्ण होता है. आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. सुख समृद्धि शांति के साथ-साथ शारीरिक रोग से मुक्ति के लिए भी यह तिथि एक वरदान के रूप में देखी जाती है.


आज के दिन लोगों द्वारा दूध चावल का खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा भी है, जिसे कुछ अवधि के बाद अमृत के रूप में ग्रहण किया जाता है. एबीपी न्यूज़ ने शरद पूर्णिमा को लेकर काशी के विद्वानों से बातचीत की है.


"मां लक्ष्मी का हर घर होता है आगमन"


ज्योतिष विद्या के जानकार काशी के धर्माचार्य पं. संजय उपाध्याय ने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान बताया कि- आज शरद पूर्णिमा की तिथि है. सनातन संस्कृति में इस दिन का विशेष महत्व है.  मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का हर घर आगमन होता है और वह भक्तों के भक्ति भाव, सात्विकता को देखती हैं. आज के दिन  माता लक्ष्मी की आराधना करने वाले लोगों को सुख समृद्धि के साथ उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.


साथ ही इस तिथि पर ही भगवान श्री कृष्ण के लीलाओं का भी वर्णन है. इसलिए आज के दिन माता लक्ष्मी, भगवान इंद्र भगवान श्री कृष्ण की आराधना करनी चाहिए. रात्रि जागरण भगवत सुमिरन के साथ-साथ दूध चावल से बने खीर का भी सेवन लोगों के लिए लाभ प्रदान करने वाला होगा.


"16 कलाओं में पूर्ण होते हैं चंद्रमा"


काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि- आज शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की आराधना बहुत फलदायी होती है. इस दिन विशेष तौर पर सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए. यह दिन धन वैभव सुख समृद्धि के साथ-साथ शारीरिक लाभ के लिए भी विशेष उपयोगी माना गया है.


चंद्रमा का शीतल युक्त रौशनी अमृत के समान होती है. श्वास सहित अन्य रोगियों के लिए आज का दिन किसी संजीवनी से कम नहीं होता. इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखकर  कुछ समय बाद अमृत के रूप में उसका सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.


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