Sawan Shivratri 2021: राहु-केतु अशुभ फल दे रहें तो सावन शिवरात्रि पर करें ये उपाय, वृष और वृश्चिक राशि पर है पाप ग्रहों की दृष्टि
Sawan Shivratri 2021 Start Date: वृष (Taurus) में राहु और वृश्चिक राशि (Scorpio) में केतु विराजमान हैं. ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को पाप ग्रह माना गया है.
Sawan Shivratri 2021 Start Date: वृष और वृश्चिक राशि पर पाप ग्रहों की दृष्टि है. वृष राशि में राहु और वृश्चिक राशि में केतु विराजमान हैं. ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ही ग्रहों को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. जिन लोगों को राहु-केतु अशुभ फल दे रहे हैं, उनके लिए 06 अगस्त 2021 का दिन उत्तम है. इस दिन सावन शिवरात्रि है. सावन में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है.
सावन शिवरात्रि कब है 2021
06 अगस्त 2021, शुक्रवार को पंचांग के अनुसार श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. इसे श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि और सावन शिवरात्रि भी कहा जाता है. पंचांग के मुताबिक चतुर्दशी की तिथि का आरंभ 06 अगस्त 2021, शुक्रवार को शाम को 06 बजकर 28 मिनट से होगा और 07 अगस्त 2021 को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर चतुर्दशी तिथि का समापन होगा.
वृष राशि में राहु का गोचर
वर्तमान समय में वृष राशि में राहु का गोचर बना हुआ है. वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं. राहु की शुक्र के साथ मित्रता है. इसलिए शुभ होने पर राहु अत्यंत अच्छे फल प्रदान करते हैं. वहीं अशुभ स्थिति में होने राहु बहुत परिणाम भी प्रदान करते हैं. राहु के स्वभाव के बारे में कहा जाता है कि राहु राजा से रंक, और रंक से राजा बनाने वाला ग्रह है.
वृश्चिक राशि में केतु का गोचर
वृश्चिक राशि में केतु विराजमान हैं. केतु इस वर्ष राशि परिवर्तन नहीं कर रहे हैं. केतु को रहस्मय ग्रह माना गया है. केतु शुभ होने पर व्यक्ति को ज्ञान और मोक्ष आदि प्रदान करता है. केतु जीवन में अचानक होने वाली घटनाओं का भी कभी कभी कारक बनता है. अशुभ होने की स्थिति पर केतु मानसिक तनाव, कार्यों में बाधा, रोग और आर्थिक संकट प्रदान करता है.
राहु-केतु उपाय
सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव का विधि पूर्वक पूजा करने से राहु-केतु की शांति होती है. इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव का अभिषेक कर, उनकी प्रिय चीजों को अर्पित करना चाहिए. इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
- राहु मंत्र: ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
- केतु मंत्र: ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:
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