Mahabharat In Hindi: महाभारत का युद्ध सबसे विनाशकारी था. महाभारत के युद्ध में पांडव और कौरव, दोनों को ही हानि उठानी पड़ी. महाभारत का युद्ध कितना विनाशकारी था, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस युद्ध में दोनों तरफ से 18 अक्षौहिणी सेना ने प्रतिभाग लिया. जिसमें से 7 अक्षौहिणी सेना पांडव की तरफ से युद्ध लड़ रही थीं, जबकि 11 अक्षौहिणी सेना कौरवों की तरफ से युद्ध कर रही थीं. विशेष बात ये है कि इस युद्ध में सिर्फ यही लोग बचे-



  • श्रीकृष्ण

  • पांच पांडव

  • युयुत्सु

  • सात्यकि

  • अश्वत्थामा (कौरव)

  • कृपाचार्य (कौरव)

  • वृषसेन (कौरव)

  • कृतवर्मा (कौरव)


अक्षौहिणी का माप कैसे किया जाता है
'अक्षौहिणी' मान्यता है कि प्राचीन समय में भाारत में ये एक सेना का माप था. एक अक्षौहिणी में हाथियों की संख्या 21,870 होती है, रथों की संख्या भी 21,870 होती है, घोड़ों की संख्या 1,53,090 और मनुष्यों की संख्या 4,59,283 होती है. एक अक्षौहिणी सेना में सभी जीवधारियों जैसे हाथी, घोड़ा और मनुष्यों की कुल संख्या 6,34,243 होती है.इन सभी का महाभारत के युद्ध में सर्वनाश हो गया.


महाभारत के विनाशकारी परिणामों के बारे में एक विद्वान भलिभांत जानता था. इस विद्वान ने इस विनाशकारी युद्ध को रोकने की भरसक कोशिश की लेकिन किसी ने भी उनकी बात नहीं मानी. ये विद्वान कौन था आइए जानते हैं-


विदुर को मालूम था महाभारत का परिणाम
महात्मा विदुर ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जो महाभारत के खतरनाक परिणामों के बारे में अच्छे से जानते थे. उनकी नीतियां विदुर नीति के नाम से आज भी विख्यात हैं.लाखों लोग उनकी नीतियों को पढ़ते हैं और उनका अनुशरण करते हैं. विदुर नीति व्यक्ति को श्रेष्ठ बनने की दिशा में  प्रेरित करती है और अच्छे बुरे का भेद भी बताती है.यही कारण है कि वे आज भी प्रासंगिक हैं. कहते हैं कि विदुर ही सबसे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होने महाराज धृतराष्ट्र को सबसे पहले कह दिया था कि महाभारत का युद्ध कौरवों का विनाश लेकर आएगा. अंत में हुआ भी ऐसा ही. 


धर्मराज का अवतार थे 'विदुर' श्रीकृष्ण भी करते थे सम्मान
विदुर विद्वान थे उन्हें अच्छे बुरे का भेद पता था. इसीलिए उनका सम्मान सभी करते थे. विदूर को धर्मराज का अवतार माना गया है. विदुर ने सभी तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया था. इसके बाद जब वे हस्तिनापुर आए तो युधिष्ठिर, भीम अर्जुन, नकुल सहदेव, धृतराष्ट्र, युयुत्सु, संजय, कृपाचार्य, कुन्ती गांधारी, द्रौपदी, सुभद्रा, उत्तरा और कृपी उनके दर्शन के लिए आए.


पुत्रमोह में धृतराष्ट्र ने विदुर की एक न मानी
विदुर महाभारत के परिणामों के बारे में जानते थे. वे दूरदर्शी भी थे. महाभारत के युद्ध को लेकर धृतराष्ट्र से उनका जब संवाद हुआ तो विदुर ने एक पल गंवाए, राजा धृतराष्ट्र से कह दिया-''महाराज इस युद्ध को टालने का प्रयास करें''. लेकिन पुत्र मोह में फंसे होने के कारण धृतराष्ट्र भविष्य के विनाश को नहीं देख सके. 


विदुर की सलाह मान लेते तो नहीं होता महाभारत का युद्ध
कहते हैं कि धृतराष्ट्र यदि विदुर की बात मान लेते तो महाभारत का विनाशकारी युद्ध टाला जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और  अंत में महात्मा विदुर की भविष्यवाणी सच साबित हुई.


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