Mahakal Bhasma Aarti: राख है देह का अंतिम सत्य, जानें महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें
Mahakal Aarti: उज्जैन नगरी में बाबा महाकाल के दर्शन के लिए हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां पर महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है. जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें.
Mahakal Aarti Rule: मध्य प्रदेश के उज्जैन को भगवान शिव की नगरी माना जाता है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग यहीं पर स्थित है. इसके दर्शन के लिए देश-दुनिया से लोग यहां आते हैं. माना जाता है कि यहां आने भर से सारे संकट समाप्त हो जाते है. मान्यताओं के अनुसार बाबा महाकाल के दर्शन करने से जीवन-मृत्यु का चक्र खत्म हो जाता है और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है.
क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती
पौराणिक कथा के अनुसार दूषण नाम के राक्षस ने उज्जैन नगरी में तबाही मचा दी थी. यहां के ब्राम्हणों ने भगवान शिव से इसके प्रकोप को दूर करने की विनती की. भगवान शिव ने दूषण को चेतावनी दी लेकिव वो नहीं माना. क्रोधित शिव यहां महाकाल के रूप में प्रकट हुए और अपनी क्रोध से दूषण को भस्म कर दिया. माना जाता है कि बाबा भोलेनाथ ने यहां दूषण के भस्म से अपना श्रृंगार किया था. इसलिए आज भी यहां महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है.
महाकाल की भस्म आरती से जुड़ी ये खास बातें
यह पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव की दिन में 6 बार आरती की जाती है. इसकी शुरुआत भस्म आरती से ही होती है. महाकाल में सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है. इसे मंगला आरती भी कहा जाता है. कहा जाता है कि महाकाल भस्म से प्रसन्न होते हैं. यह आरती महाकाल को उठाने के लिए की जाती है. महाकाल की आरती में केवल ढोल नगाड़े बजाकर महाकाल को उठाया जाता है.
वर्षों पहले महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी लेकिन पिछले कुछ सालों से अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म का इस्तेमाल किया जाने लगा है. मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है.
महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं. भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है. भस्म यानी राख देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार है. बाबा को भस्म लगाना संसार के नाशवान होने का संदेश है.
भस्म आरती के नियम
भस्म आरती के दर्शन करने के लिए कुछ खास नियम हैं. यहां आरती करने का अधिकार सिर्फ यहां के पुजारियों को होता है बाकी लोग सिर्फ इसे देख सकते हैं. इस आरती को देखने के लिए पुरुषों को केवल धोती पहननी होती है जबकि महिलाओं को आरती के समय घूंघट करना पड़ता है. माना जाता है कि उस वक्त भगवान शिव निराकार स्वरूप में होते हैं और महिलाओं को भगवान के इस स्वरूप के दर्शन करने की अनुमति नहीं होती है.
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